सोमवार, 30 अक्टूबर 2017

राजस्व यज्ञ का फल मिलता है इसे लगाने से By performing this, one gets the results of Revenue Yagya.

राजस्व यज्ञ का फल मिलता है इसे लगाने से 


आज के नए एपिसोड में हम ऐसे पौधे के बारे में बतायेंगे जिसको लगाने से राजस्व यज्ञ के समान फल मिलता है। 
संसार के विकास के क्रम में पेड़ पौधों का बहुत ही योगदान एवं भूमिका है। हमारे आसपास कई ऐसे पौधे हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण और अतिलाभकारी है। जिनके बारे में हम ना ठीक से जान पाते हैं और ना पहचान कर पाते हैं। इसलिए उनका अपने जीवन में सदुपयोग नहीं कर पाते हैं।आज के एपिसोड में ऐसे ही एक चमत्कारी वृक्ष के बारे में बात करने जा रहे हैं जो अतिफलदायी है। इसके साथ-साथ यह हमारे परिवार के लिए और पर्यावरण के लिए अर्थात दोनों के लिए लाभप्रद है। 

ऐसे विशेष जानकारी के लिए आईये आगे बढ़ते हैं। 

हमारे आसपास और पर्यावरण में भिन्न-भिन्न प्रकार के पेड़ पौधे एवं वृक्ष पाए जाते हैं जिनको यदि हम लोग ठीक से जान ले तो हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। यह पेड़ आसानी से उपलब्ध हो जाता है और इसको अगर घर के सामने लगते हैं तो काफी अच्छा परिणाम आ सकता है। इसको लगाने के लिए ध्यान देना चाहिए इसे ऐसी जगह लगाए जहां पर इसकी छति होने संभावना काम हो। इसे संस्कृत में काफी विशेषताओं के साथ इसका उल्लेख किया गया है और बताया गया है कि यदि इसे कार्तिक मास के समय लगाया जाए और लगाते समय यह भी ध्यान दिया जाए कि इसे  उत्तर दिशा में लगाया जाए तो इसका फल राजस्व यज्ञ के बराबर मिलता है। इस वृक्ष का नाम आँवला है और इस पेड़ का महत्व औषधि गुणों  के लिए काफी अधिक अच्छा माना जाता है। हिंदू संप्रदाय में इसे श्रद्धा के साथ सम्मान किया करते हैं और विशेष तिथि के आने पर इस वृक्ष के नीचे खाना बनाकर खाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि यह वृक्ष जहां लगे होते हैं वह के लोग लोगों के पापों का समन हो जाता है इस प्रकार इस वृक्ष को लगाते हैं तो आपको राजस्व यज्ञ की तरह फल मिलता है। 

रविवार, 29 अक्टूबर 2017

आपके सारे दुःखो और कष्टों को हर लेगा यह वृक्ष।This tree will take away a...

आपके सारे दुःखो और कष्टों को हर लेगा यह वृक्ष।

आपके सारे दुःखो और कष्टों को हर लेगा यह वृक्ष 

प्राकृतिक चीजों की गुणगान हमें अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग ग्रन्थों से मिलती रहती है और प्रकृति की प्रसंशा करते हुये एक जगह कहा गया है की
   वृक्ष कबहु ना फल चखे ,नदी ना संचय नीर। 
    परमारथ के कारणे साधु धरा शरीर।। 
 ऐसे ही बहुत सारे विशेषताओ के क्रम में आज ऐसे ही विशेष प्रकार के वृक्ष के बारे में बताया जा रहा है जो व्यक्ति के सारे कष्ट एवं चिन्ता को दूर कर देता है। 

आइये इसके बारे में जानकारी करे 

संसार का कोई व्यक्ति गरीब हो या अमीर किसी भी परिस्थिति में गरीब नहीं रहना चाहता है। प्राचीन धर्मशास्त्रों में यह बताया गया है कि यह पौधा बहुत ही उपयोगी एवं कारगर है। इससे मनुष्य के जीवन में आने वाले कष्ट और दुःख समाप्त हो जाते है इन सब समस्याओ को दूर करने के लिये अशोक के पेड़ को लगाना चाहिये। अशोक का मतलब होता है जहा शोक ना हो। 
इसका पेड़ दो प्रकार का होता है एक असली और दूसरा नकली। 
  • असली अशोक के पेड़ में पत्तिया आम के पत्तो की बनावट की तरह होती है जिसकी लम्बाई 8 से 9 इंच और चौड़ाई में 2.5 इंच चौड़ी होती है। इसमें जो फूल लगते है वह नारंगी रंग होते है। 
  • जबकि नकली अशोक के पेड़ में फूल सफ़ेद रंग के होते है। इसके पेड़ देवदार वृक्ष जैसे होते है। 
हिन्दू सम्प्रदाय के लोग यह मानते है कि सीता अपने दुःख को कम करने के लिये अशोक वाटिका में रहा करती थी। यह उस समय की घटना है जब सीता रावण के पास थी। 
इस प्रकार अशोक एक महत्वपूर्ण वृक्ष है इसे लगाने पर सभी दुःख समाप्त होकर लम्बे सुख की प्राप्ति होती है
यह पेड़ - पौधे एवं वृक्ष मनुष्य के लिए बहुत ही उपयोगी है इसलिए प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम करे 

शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

बुरी आत्माओं को दूर करना हो तो ये पौधा लगाये। To remove evil spirits, th...


बुरी आत्माओं को दूर करना हो तो ये पौधा लगाये।

हम बतायेंगे बुरी आत्माओ को दूर करने वाले पौधे के बारे में।
लगभग सभी सम्प्रदाय के धार्मिक किताबो में अदृश्य शक्तियो के बारे में बात किया गया है। इसे विज्ञान की भाषा में ऊर्जा भी कहा जाता है इन अदृश्य शक्तियो को समान्यतया दो प्रकार से बताया जाता है। एक तो अच्छी आत्माये दूसरी बुरी आत्माये। इन आत्माओ के बारे बताया गया है कि ये समान्य आँखों से दिखायी नहीं पड़ती है लेकिन इनका प्रभाव कही ना कही प्रकट होता रहता है। ऐसी बुरी आत्माये जो मनुष्यो को कष्ट देती है या परेशान करती है उन्हें दूर करने के लिये आज के एपिसोड में सरल और आसान तरीका बताया जा रहा है। जिसके द्वारा ये बुरी आत्माये या नकारात्मक ऊर्जाये दूर किये जा सकते है।
आइये इसके विधि के बारे में ठीक से जाने

हमारे चैनल पर बहुत सारे समस्याओ के बारे में बताया जा चूका है। यदि कभी भी नाकारात्मक ऊर्जा या बुरी आत्माओ का आभास हो तो उसके निवारण के लिये आसान और सरल उपाय यह है कि निवास स्थान के आग्नेय दिशा में बांस का पौधा लगाये। यह बांस वास्तु दोष को दूर करने के लिये उपयोग में लाया जाता है।
  • यह मार्केट में शीशे के पात्र में बांसो के मण्डल बनाकर रखा रहता है इसे आप लाकर आसानी से आग्नेय दिशा में रख सकते है।
  • बांस के ऎसे पौधे भूलकर भी उत्तर - पूर्व या ईशान कोण में नहीं लगाना चाहिए क्योकि इस दिशा में इस पौधे को लगाने से पहले वास्तु ज्ञान और दिशा का ज्ञान जरूर प्राप्त कर ले क्योकि वास्तुशास्त्र में दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
व्यक्ति की ख़ुशी और विकास के लिये विभिन्न प्रकार की नयी नयी जानकारी दी जाती है। आप हमारे चैनल को फॉलो करे साथ ही साथ शेयर और कमेंट करे।

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

ताजमहल की यह सच्चाई नहीं जानते होंगे You do not know this truth of the T...


ताजमहल की यह सच्चाई नहीं जानते होंगे


ताजमहल की यह सच्चाई नहीं जानते होंगे

पूरी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जिस पर अत्यधिक आक्रमण किये गए इसका कारण है यहाँ की सामाजिक व्यवस्था। भारत में जाति व्यवस्था ने भारत को अंदर से खोखला कर कैंसर एवं टीवी का मरीज बना दिया लेकिन मानवता के दुश्मन यह सब बातो का बिना चिंता किये मौज की ज़िंदगी जीने लगे। 
भारत की सामाजिक व्यवस्था को कमजोर देखते हुये विदेशी मुस्लिमो ने जमकर आक्रमण किया। उसके बाद यहाँ की पूरी अर्थव्यवस्था अपने हाथ में ले लिया जिससे पुरे भारत की शासन व्यवस्था धीरे-धीरे कमजोर होती चली गयी। क्योकि यहाँ पर लोगो में भाई बंधुत्व की भावना कम थी। राजाओ के पास सैनिक कम थे। हिन्दू राजाओ की जनता उनकी स्वयं की विद्रोही थी क्योकि उनमे अधिकतर राजा निरंकुश एवं क्रूर थे। 

आक्रमण के लम्बे दौर में 1631 से 1632 का समय आया और इसी समय शाहजहाँ का शासन स्थापित हो गया। 
शाहजहाँ ने भी इस देश की कमजोरियों  को समझते हुये मनमानी करना चालू कर दिया ऐसी ही मनमानी एवं फेरबदल का शिकार ताजमहल हो गया। लेकिन ताजमहल के बारे में बताया जाता है की ताजमहल का निर्माण 1156 में राजा परमाल देव ने किया था और वर्तमान ताजमहल के इमारत में दो मंजिल अभी नीचे भी है जिसे  बताया जाता है कि यह पहले अग्नेश्वर महादेव के मन्दिर के नाम से जाना जाता था। 

पूरी तरह देखा जाय तो ताजमहल 7 मंजिला इमारत है। एक लेखक ने यह भी बताया है कि ताजमहल के अंदर कुल 700 प्रकार के चिन्ह मिले है जो मंदिर होने का प्रमाण देते है। जिसे एक इतिहासकार ने अपने पुस्तक में चर्चा भी किया है। 

ताजमहल कि प्राचीनता को कार्बन टेस्ट के द्वारा पता किया जा सकता है। वर्तमान समय में जो इसकी पहचान है उसमे यह संदेह उत्पन्न होकर सामने आया है कि इसे  ताजमहल कहा जाय या ना कहा जाय। 
यदि ताजमहल शब्द का विश्लेषण करते है तो प्राचीन इतिहास में तेजोमालय नाम से इसकी जानकारी मिलती है और ऐसा बताया जाता है कि शाहजहाँ ने इस पर कब्ज़ा करके शिवमंदिर को बदलवा करके इसमें कब्र बनवाकर एक नया नाम ताजहमल रख दिया जबकि सही मायने में आजतक के इतिहास में किसी मुस्लिम के कब्रगाह को महल शब्द का प्रयोग करते नहीं देखा गया है। क्योकि कब्र कभी महल नहीं हो सकता। 
जानकारी में संक्षिप्त रूप में यह बात सामने आती है कि शाहजहाँ  कि शादी मुमताज से 1612 में हुयी थी ऐसा बताया जाता है कि मुमताज कि मृत्यु बुरहानपुर में हुयी थी लेकिन कुछ मुस्लिम  यह भी मानते है बुरहानपुर में मुमताज की मृत्यु होने के बाद मुमताज की लाश को आगरा लाया गया। आगरा के ताजमहल में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। 
जबकि इस्लाम सम्प्रदाय में यह बात स्पष्ट रूप से बतायी गयी है कि किसी कि भी कब्र को पक्की नहीं बनायी जा सकती। कच्ची मिट्टी में कब्र इसलिए बनाने को कहा गया है कि कुछ दिन बाद मिट्टी की बनी हुयी शरीर मिट्टी में मिल जाती है । 
 यहाँ सवाल यह खड़ा होता है कि शाहजहाँ ने किस सम्प्रदाय के आधार पर पक्की कब्र बनवाया और किसकी इजाजत से बनवाया। 
पाठक इसका निर्णय करे कि शाहजहाँ क्या शरीयतन गुनहगार है या नहीं।    

एक घड़ा जो सीढ़ी के वास्तु दोष को करेगा दूर। Remove the ladder's Vaastu defects from the pitcher

एक घड़ा जो सीढ़ी के वास्तु दोष को करेगा दूर

एक घड़ा जो सीढ़ी के वास्तु दोष को करेगा दूर

मकान के निर्माण काल में बहुत सारे चीजों को ध्यान देने के बाद सीढ़ी के तरफ ध्यान अवश्य जाता है। क्योकि सीढ़ी की भूमिका मकान के लिए महत्वपूर्ण होती है इसलिए सीढ़ी में किसी प्रकार का वास्तुदोष है तो उसका प्रभाव पुरे परिवार पर पड़ता है इसलिए सीढ़ी का वास्तु दोष तुरन्त दूर करना चाहिए। 

आज के एपिसोड में सीढ़ी के वास्तु दोष को दूर करने का बहुत ही सरल तरीका बताने जा रहा हूँ। आइये और जानकारी के लिये आगे बढ़े। 
सीढ़ी को बनाते समय कुछ महत्तवपूर्ण बातों की जानकारी होना अनिवार्य होता है।  यदि मकान बनाते समय मकान मालिक वास्तु के जानकार नहीं है तो ऐसी स्थिति में वास्तु दोष होना स्वभाविक हो जाता है। 

अक्सर होने वाले वास्तु दोष इस प्रकार के देखे गये है जैसे - 

  • कुछ लोग सोचते है कि सीढ़ी के नीचे खाली जगह का उपयोग क्यों ना कर लिया जाय। इस उपयोग के विचार से लोग सीढ़ी के नीचे बाथरूम ,टॉयलेट , किचेन एवं पूजा घर बनाने लगते है। जो एक बहुत बड़ा वास्तु दोष होता है। 
  • कुछ लोग सोचते है सीढ़ी के नीचे क्यों ना जूता चप्पल रखने का स्थान बना दिया जाय। 
सीढ़ी बनाते समय निम्न बातो का ध्यान देना चाहिये --

  • सीढ़ियों की पूरी संख्या को विभाजित करें तो शेष 2 बचना चाहिये यदि ऐसा होता है तो यह शुभ माना जाता है। 
  • सीढ़ी के नीचे के स्थान को कभी -भी भूलकर अपने नीजी कार्यो में ना लाये अर्थात बाथरूम ,टॉयलेट किचेन व पूजा घर न बनवाये। क्योकि इसका उपयोग करने पर वास्तु दोष होता है जिससे बच्चो की पढ़ाई लिखाई एवं प्रगति के लिए बाधा उत्पन्न हो जाती है। 
  • सीढ़ी के शुरू और अंतिम में दरवाजा जरूर होना चाहिये। 
  • सीढ़ी के लिए उत्तर - पश्चिम की दिशा अच्छी मानी जाती है। 
  • यदि सीढ़ी की दिशा दक्षिण - पूर्व होतो यह भी अच्छा माना जाता है। 
  • यदि सीढ़ी की दिशा उत्तर - पूर्व होतो सीढ़ी दीवार से जुड़ी हुयी नहीं होनी चाहिये। 
  • यदि सीढ़ी की दिशा ईशान कोण में हो तो ऐसी स्थिति में आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है और आर्थिक तंगी भी बढ़ती चली जाएगी। 
  • यदि सीढ़ी गोलाकार हो तो सीढ़ियों के चढ़ाव clockwise डायरेक्शन में होना चाहिये anticlockwise नहीं होनी चाहिये। 
  • कभी भुलकर भी घर के सामने सीढ़ी नहीं बनवाना क्योकि यह सबसे बड़ा वास्तु दोष माना जाता है। ऐसी स्थिति में मकान मालिक की  आर्थिक स्थिति में काफी नुकसान हो सकता है।  
  • सीढ़ीयो कि संख्या odd में होनी चाहिये जैसे 3,7,11,13। 
सीढ़ी के वास्तु दोष दूर करने के लिए एक घड़े में बरसात का पानी भर ले और बरसात के पानी से भरे घड़े को सीढ़ी के नीचे रखकर जमीन के अंदर दबा देना चाहिए। 
सीढ़ी के नीचे का बचा हुआ खाली स्थान हमेशा खाली रखना चाहिये ऐसा रखना शुभ माना जाता है। 

समय -समय पर वास्तु एवं स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते रहेंगे।

मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017

इस वीडियो को देखे और जाने आपकी त्वचा किस प्रकार की हैWatch this video an...

इस वीडियो को देखे और जाने आपकी त्वचा किस प्रकार की है

इस वीडियो को देखे और जाने आपकी त्वचा किस प्रकार कि है ?
 
हमारे चैनल पर समय -समय पर भिन्न भिन्न जानकारी दी जाती है और हमारे चैनल की टीम की यह कोशिश भी रहती है कि मानव जीवन से सम्बन्धित आवश्यक एवं जरुरी बातो को सरल शब्दों में जनहित में पेश किया जाय है। आज के इस वीडियो में त्वचा से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण बाते बतायी जा रही है। 

आइये जानकारी के लिये आगे बढ़े 

त्वचा हमारे शरीर के लिये महत्वपूर्ण होता है। त्वचा ही हमारे शरीर के रंग रूप को तय करते है। सही मायने में त्वचा और दिमाग एक दूसरे से जुड़े होते है त्वचा पर सबसे अधिक नशो के सिरे समाप्त होते है और दूसरी ओर शरीर अवयव को घेरे और बांघे रखता है। यह संवेदना का सबसे बड़ा माध्यम होता है। यह भावनाओ को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के अलग -अलग भागो में यदि परिवर्तन होता है यह परिवर्तन त्वचा पर ही दिखता है। 
जैसे - त्वचा पर कील मुंहासे निकलना यह शरीर के परिवर्तन के चिन्ह होते है। 
इस प्रकार से शरीर के परिवर्तनो की जानकारी त्वचा से की जा सकती है। 
त्वचा के बारे में यह पता होना चाहिये कि त्वचा कितने प्रकार कि होती है? 

समान्य तौर पर त्वचा की गुणवत्ता के आधार पर त्वचा को तीन भागो में बाटा जा सकता है। 
 
पहला अत्यधिक तेलयुक्त त्वचा, दूसरा शुष्क एवं रूखी त्वचा और तीसरा है समान्य त्वचा। 

इस प्रकार त्वचा को तीन प्रकार से जाना जाता है इसके बारे में जानकारी के लिये हमे comment करे आज के एपिसोड में इतना ही।

सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

बाजार के इन चीजों को उपयोग से पहले यह वीडियो देखे जरूर नहीं तो जा सकती ह...

बाजार के इन चीजों को उपयोग से पहले यह वीडियो देखे जरूर नहीं तो जा सकती है जान ।



आज के नए एपिसोड में हम बताएँगे उन चीजों के बारे जिसको हम खाने में उपयोग करते है।  
आजकल बाजारों में बहुत सारी चीजे उपलब्ध है उसमे खाद्य वस्तुओ के उत्पाद जो भिन्न -भिन्न रूप में उपलब्घ है। उनमे उपयोग आने वाली चीजे जिससे यह उत्पाद बनाया गया है अधिकतर बनाते समय उत्पादों में मानव के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं दिया जाता है। और कम्पनिया यह ध्यान देती है कि उत्पाद देखने में सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट हो जबकि दोनों चीजों का स्वास्थ्य से कुछ लेना देना नहीं है। 

पढ़े लिखे समाज को कम से कम इतना जरूर जानना चाहिये कि जो हम चीज खा रहे वह हमारे शरीर के अंदर पहुंचकर अपना क्या प्राभव दिखायेगी। लेकिन यहां खेद का विषय यह है कि इससे सम्बन्धित जानकारी हर जगह उपलब्ध नहीं है और दूसरी बात यह है कि लग भाग 98 % लोग इसके प्रति जागरूक ही नहीं है। क्योकि वे स्वयं ही खाने पीने के चयन के बारे में स्वाद को महत्व देते है ना कि स्वास्थ्य को। बहुत बड़ी भीड़ केवल स्वाद के पीछे दौड़ती है इसमें महिलाये तो नम्बर एक पर रहती है। 

आज के इस वीडियो में ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे है जो खाने में स्वादिष्ट होते है परन्तु  स्वास्थ्य के लिये अच्छे नहीं होते है। इसलिये वीडियो शुरू करने से पहले हम आप सभी लोगो से क्षमा प्रार्थी है कि हमारी बात यदि बुरी लगे तो। परन्तु यह बात बहुत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। 

आइये ऐसे चीजों के बारे में जाने - 

  • यदि market में कुछ चीज खरीदने गये हो या घूमने टहलने गये हो और नास्ता करने का मन कर रहा हो तो कृपया नास्ता से पहले इन चीजों पर घ्यान दे। यदि नास्ता में आप समोसा , कचौड़ी,चाट,पकोड़े,छोले भटूरे या अलग -अलग तरह कि नमकीन मिठाईया लेने से पहले आप जरुए सोचे कि इसमें कही ट्रांस  फैट तो नहीं है। 

  • इस प्रकार घर के बच्चो के लिये तथा परिवार के लिये ये चीजे लेने से पहले यह विचार कर ले कि इसमें भी ट्रांस फैट तो नहीं है। वह चीजे है जैसे -बिस्किट ,केक ,कैंडी ,पेडीज ब्रेड,टोस्ट,पिज़्ज़ा ,बर्गर और बेकरी के सभी समान। 
  • सभी Snacks  फ़ूड जैसे आलू कि चिप्स,फ्रेंच फ्राइस ,स्टेंट नूडल्स आदि में भी भरपूर मात्रा में ट्रांस फैट होते है। 
  • वनस्पति तेल और आंशिक हाइड्रोजिनेटेड रिफाइन तेल इसमें भी काफी मात्रा में ट्रांस फैट होते है। 
  • रसोई में unsaturated oil को जब गर्म करते है तो यह गर्म होते ही ट्रांस फैट बनने लगता है। 
इस प्रकार मानव स्वास्थ्य और मानव जीवन से सम्बन्घित बातो कि जानकारी देते रहेंगे। 

रविवार, 22 अक्टूबर 2017

दुनिया के प्राण घातक बीमारियों का आखिर सौदागर कौन Who is the ultimate de...

दुनिया के प्राण घातक बीमारियों का आखिर सौदागर कौन?

 दुनिया के प्राण घातक बीमारियों का आखिर सौदागर कौन ?

आज आप लोगो को जो जानकारी दी जा रही है वह मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मानव के जीवन में तो सुख दुःख लगा ही रहता है लेकिन दुःखो के क्रम में बिमारी भी दुःख का सबसे बड़ा कारण है। बिमारियों में कुछ ऐसी बीमारियां है जो जीवन को नरक बना देती है और जीवन जीना मुश्किल कर देती है। ऐसी बिमारियां प्राणघातक होती है। कई बार तो बहुत कोशिशो के बाद भी जीवन बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। जीवन में सबसे बड़ा सुख स्वास्थ सुख होता है। 
मनुष्यों को स्वस्थ बनाने के लिए हमारे चैनल के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है जो बहुत ही आवश्यक और जरुरी है। 

आइये जानकारी के लिये आगे बढ़े 

वैज्ञानिक खोजो में कुछ खोज ऐसे है जो मानव सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिये किया गया था लेकिन आदमी के खुरापाती दिमाग ने उस अनुसंधान को गलत तरीके से उपयोग किया जैसे - अणु शक्ति का अनुसंधान किया गया था। इस अनुसंधान का खोज इस उद्देश्य से किया गया था की अपार मात्रा में ऊर्जा मिल सके जिससे मनुष्य  का विकास तेजी से हो सके। 
लेकिन आदमी के बदमाश दिमाग ने उस अणु शक्ति को बम बनाने में कर दिया। इस प्रकार विकास की जगह विनाशकारी सिद्ध  हो गया 
आज के इस वीडियो में ऐसी ही जानकारी दी जा रही है कि इस अनुसंधान का दुरपयोग कर लोगो ने बिमारियों के लिये बड़ा कारण बना दिया है। 
जब सैवेटियर ने हाइड्रोजिनेशन तकनीकी का विकास किया तब उन्होंने सोचा कि गैसों का हाइड्रोजिनेशन करके ठोस रूप देकर कई कल्याणकारी कार्य हो सकेगा और इस खोज के लिये उन्हें नोबल प्राइज़ भी दिया गया था 
लेकिन कुछ धन के लालची लोगो ने इस तकनीकी से तेल का हाइड्रोजिनेशन करने लगे। जिससे घी जैसा पदार्थ बनाकर दुनिया में प्रसिद्ध करके उसे प्रचलन में ला दिया जो स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा दुश्मन साबित हुआ क्योकि बड़े बिमारियों का सबसे बड़ा कारण ट्रांस फैट है जो वनस्पति घी के खाने से उत्पन्न होते देखा गया है। 

trans fat या trans unsatureted faty ऐसिड  मानव निर्मित टाक्सिक अखाद्य एवं आर्टिफीसियल फैट है। 

यह एक मृत एवं क्षतिग्रस्त unsatureted fat है जिसे सस्ते oil का हाइड्रोजिनेशन करके फैक्ट्री में बनाया जाता है। परन्तु याद रखें प्राकृतिक तेलों और जीव वसा में trans fat नहीं होते है। 
पाल सैवेटियर ने केवल गैस का हाइड्रोजिनेशन करने का विज्ञानं बनाया था किन्तु इससे प्रेरित होकर जर्मन रसायन शास्त्री बिल हेयर नूरमन ने  1901 में तेल को हाइड्रोजिनेट करने का तरीका बना लिया और 1902 में इसका पेटेंट भी हासिल कर लिया। 
उसी समय विलयर प्रॉक्टर जो एक छोटा साबुन व्यवसायी था और उसका बहनोई जार्ज गेबल जो मोमबत्ती बना कर बेचता था। दोनों का बिजनस ना चलने की वजह से दोनों ने मिलकर सिनसीनाटी  ओहीयो में प्रॉक्टर एंड गेबल नाम की एक कम्पनी बनाई। इन्होने आननफानन में कॉटन सीड के कुछ फार्म ख़रीदे और नूरमन से हाइड्रोजिनेशन तकनीकी हासिल की और 1911 में कॉटन सीड से क्रिस्टो के नाम से पहला हाइड्रोजिनेटेड फैट बनाना शुरू किया।बाद में जेनेटिकली मोडिफाइड सोयाबीन और satureted pame oil से क्रिस्टो बनाने लगे। 
इस प्रकार धीरे -धीरे इसका प्रचलन चालू हो गया और फिर अन्य कम्पनिया भी अलग -अलग नामो से इसे बनाने लगे। 
सबसे बड़े दुःख की बात यह भी है की इसके लिये झूठी गुणवत्ता बताकर इसका प्रचार किये जिसमें कुछ लैब्रोट्रीया भी शामिल थी जो घुस लेकर ऐसा काम किये।  
इस तरह से मानव स्वास्थ एवं मानव जीवन से सम्बन्धित जानकारी हमारे इस चैनल पर उपलब्ध होती रहेगी। 
यदि आपने हमारे चैनल को फॉलो नहीं किया है तो फॉलो जरूर करे जिससे उचित जानकारी आपको प्राप्त हो सके।    
 

मार्केटके सभी सौंदर्य प्रसाधन आपको कही बीमार ना बना दे। All the cosmetics in the market should not make you sick.



मार्केट के सभी सौंदर्य प्रसाधन आपको कहीं बीमार ना बना दे 



आज के नए एपिसोड हम बताएंगे की मार्केट के  सभी सौंदर्य प्रसाधन आपको कहीं बीमार ना बना दें। 
आज कल युवाओं और युवतियों में सुंदर बनने की होड़ मची हुई है इसके लिए मार्केट में तरह-तरह के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। जिसको धड़ल्ले से उपयोग करते चले जा रहे हैं लेकिन नादान युवा वर्ग को यह नहीं मालूम है कि यह कैसे बना है और इसमें क्या मिला है ? इस प्रकार अनजाने  में एक बड़ा वर्ग खतरनाक बीमारियों के तरफ बढ़ता चला जा रहा है। आज के इस लेख में यह महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है जो कॉस्मेटिक प्रोडक्ट उपयोग करने वालों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है। जो हमारे चैनल के माध्यम से जनहित में दी जा रही है।

आईये  जानकारी करने के लिए आगे बढ़े। 

पढ़े लिखे लोगों को कम से कम इतना जरूर सोचना चाहिए कि कोई भी प्रोडक्ट उपयोग करने से पहले यह जरूर देखें कि वह प्रोडक्ट लाभदायक है या नुकसानदायक है। परन्तु ऐसा होता नहीं है लोग तुरंत लाभ देखते हैं और कंपनियां अपनी कमाई देखती है अर्थात दोनों लोगों को जीवन के सुरक्षा के संदर्भ में कुछ लेना देना नहीं है। जहां ऐसे लोगों की भरमार है वहां ऐसी स्थिति में ऐसी जानकारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। दिल्ली की एक संस्था है सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट जिसे शॉर्ट में CSE कहते हैं। इसमें 2 साल तक लगातार सर्वेक्षण एवं परीक्षण  के बाद यह निर्णय दिया कि भारतीय बाजार में बिकने वाले सौंदर्य प्रसाधन में जहरीले रसायनो और तत्वों की उपस्थिति पाई गई है। मार्केट में कई क्रीम और लिपिस्टिक में अधिक मात्रा में पारा, क्रोमियम और निकिल पाए गए हैं जो जहरीले तत्व होते हैं। इसलिए CSE के निदेशक के अनुसार ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक  एक्ट & रूल ऑफ़ इंडिया  के तहत कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में पारे के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। क्योंकि पारा, क्रोमियम और निकिल सौंदर्य प्रसाधन के द्वारा सीधे शरीर के ऊपर प्रयोग किए जाते हैं जिससे शरीर में फेफड़ों के कैंसर से लेकर किडनी के खराब होने तक की समस्या आ सकती है। इसके अलावा त्वचा से  संबंधित अन्य बीमारियां भी हो सकती है इस प्रकार हमारे चैनल के माध्यम से जीवन की सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ सुखी और वैभवशाली जीवन बिताने के लिए तरह-तरह की सहयोगी और आवश्यक ज्ञान दी जाती है। 

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

जादू का यह पेड़ कई बीमारियों का है वैद्य।This magic tree is of many dise...

जादू का यह पेड़ कई बीमारियों का है वैद्य।


जादू वाले पेड़ के बारे में जो कई बीमारियों का वैद्य है। 
आज की जो जानकारी देने जा रहे है यह स्वास्थ्य से समबन्धित है और यह सरल एवं काफी कारगर भी है। यह जानकारी देने का हमारा उद्देश्य यह है की लोग छोटी मोटी समस्याओ के कारण भिन्न-भिन्न दवाइया खाते रहते है। जिससे फायदा कम नुकसान ज्यादा होता है। इस बात को लोग जितना जल्दी समझ जाये उतना ही अच्छा है। एक बात तो सबको दिल में जरूर बैठा लेना चाहिये कि जो बहुत आवश्यक है वह यह है की अंग्रेजी दवाई जब भी हम खाते है। तो वह एक दवा ना होकर एक कम्पाउण्ड होता है। संसार के लोगो को ऐसी घातक असर से बचाने के लिये हमारे चैनल पर अलग-अलग जानकारी दी जाती है। 

आइये आपको ऐसे ही एक जादुई पेड़ के बारे में बताने जा रहे है जिसकी विशेष खाशियत के कारण से ही उसे जादू का पेड़ कहते है। आज वीडियो में जो जानकारी दी जा रही है। वह त्वचा की बहुत सारी समस्याओ को दूर करने के लिये सक्षम है।

इस पेड़ के पत्तियों में कई प्रकार के हार्मोन्स एवं प्राकृतिक गुण पाए जाते है इस पेड़ के बीज एवं छाल भी महत्वपूर्ण होते है। इस पेड़ के बीज को धुप में सुखाकर क्रीम तैयार किया जाता है। आप अपने घर पर भी इसके बीजो को सुखाकर फेस पैक या स्क्रब तैयार कर सकते है। इसके बीजो से निकाला गया तेल सुखी त्वचा को ठीक करने के साथ-साथ यह एक ताकतवर मास्चराइजर भी होता है। इसके द्वारा तैयार किये गए पेस्ट से खुदरी त्वचा एवं एलर्जी जैसी समस्याओ को दूर किया जा सकता है। इसके बीजो के तेल से बच्चो के त्वचा को मालिश करने के लिये अच्छा माना जाता है। 

इसके बीजो के रस से कॉस्मेटिक और अन्य बहुत सारे उत्पादों को बनाने में अन्य कम्पनिया उपयोग में लाती है। क्योकि इससे त्वचा में छिपे विषैले तत्व भी बाहार निकल जाते है। त्वचा के मृत कोशिकाओं को दूर करने के लिये इससे अच्छी कोई औषधि नहीं है। इतने सारे विशेषताओं वाला जिस पेड़ के बारे में बात किया है रहा है जो आपके आस-पास दिखने वाला यह पेड़ जिससे आप अच्छी तरह परिचित है। इस अद्द्भुत पेड़ का नाम है सहजन। 
 
इस तरह से रौचक और महत्वपूर्ण जानकारी देते रहेंगे जिससे आपका जीवन स्वस्थ्य पूर्ण रह सके। 

शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017

क्या जानते है 3300 ईसा पूर्व टैटू का इतिहास और सच्चाई What do you know about the history and truth of 3300 BC tattoo?

क्या जानते है 3300 ईसा पूर्व टैटू का इतिहास और सच्चाई

आज हम टैटू का इतिहास और इसकी सच्चाई बतायेंगे।  टैटू का इतिहास और सच्चाई
आज कल आधुनिक दौर में युवाओ का एक बड़ा वर्ग बड़े तेजी से टैटू के फैशन के तरफ दौड़ता चला जा रहा है।  ऐसे लोगो की रूचि को देखते हुये हमारे चैनल की टीम ने यह विचार किया है की क्यों ना इसके बारे में जानकारी दिया जाय। जिससे लोग इसके बारे में अवगत हो सके क्योकि इस तरह की जानकारी लोगो को आसानी से प्राप्त नहीं हो पाती है। 

आइये इसके बारे में और जाने -

टैटू का फैशन अपने देश में ही नहीं विदेशो में भी बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। विदेशो में युवतिया इतनी शौक़ीन है कि ऐसी-ऐसी जगह टैटू बनवाती है जहा पर लोग सोच भी नहीं सकते है। 
दुख और खेद की बात यह है की विदेशो में भी लोग ऐसी जानकारी से अनजान है। वैसे इतिहास खंगाला जाय तो यह ज्ञात होता है कि इसका प्रचलन और फैशन बहुत पुराना है। प्राचीन काल में 3300 ईसापूर्व इसका प्रचलन देखने को मिलता है। उस समय इसका उपयोग बड़े पैमाने पर एक पहचान के रूप में लाया जाता था। जनजाति के लोग अलग-अलग टैटुओ का उपयोग अपनी पहचान के लिए करते थे। लेकिन आज कल इसका उपयोग बिल्कुल बदल चूका है। आज के युवक और युवतिया इसका उपयोग प्यार का इजहार अथवा कृतज्ञता , स्वतंत्रता ,सुरक्षा आदि के लिए अपनी कलाई , कोहनी ,फेस पर विशेष प्रकार कि डिजाइन के रूप में बनवाते हुये देखा जाता है। 
इस प्रकार के दुर्लभ और रोचक जानकारी बार-बार दी जाती है अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिये और महत्वपूर्ण जानकारी के लिये हमारे चैनल को फॉलो जरूर करे। 
.

रानी पदमावती का जीवन जब एक जादूगर ने किया बर्बाद ?

रानी पदमावती का जीवन जब एक जादूगर ने किया बर्बाद 
रानी पद्ममावती का जीवन जब एक जादूगर ने किया बर्बाद 

आज हम बतायेंगे कैसे रानी पद्ममावती का जीवन एक जादूगर ने बर्बाद किया। 
भारतवर्ष में बहुत सारे ऐसे ऐतिहासिक ,चर्चित एवं प्रसिद्धि घटनाये हुये है। जो पूरी दुनिया के लिए बार बार आश्चर्य करने वाली घटनाओ के रूप में सामने आती रही है। यहाँ कि भूमि महान एवं अद्भुत लोगो के लिये प्रसिध्द मानी जाती है। 
ऐसी ही एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख यहा किया जा रहा है। इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। 
हमारे चैनल के टीम की बराबर यह कोशिश रहती है की लोगो के अन्दर उत्पन्न भ्रम की स्थिति क्लियर करके लोगो के सामने साफ़-साफ़ व सरल रूप से रखा जाय। 

आइये टाइटल के अनुसार और जानकारी प्राप्त करें

आज के वीडियो में जो जानकारी दी जा रही है वह ऐतिहासिक घटना से सम्बंधित है और यह घटना भारतीय इतिहास में एक संवेदनशील घटना के रूप में याद किया जाता है। यह जानकारी और बाते रानी पद्ममावती के बारे में है। उस रानी पद्ममावती के बारे में है जो अपने बचपन से लेकर युवा अवस्था तक का ज्यादा से ज्यादा समय हीरामणि तोता के साथ बिताया करती थी। क्योकि यह घटना उनके जीवन के महत्वपूर्ण यादगारो में शामिल है। 
रानी पद्ममावती का ऐतिहासिक काल चक्र 12 व 13वी  शदी से सम्बंधित है। यह घटना उस समय की है जब दिल्ली के तख़्त पर अल्लाउद्दीन खिलजी का शासन था। रानी पद्ममावती,राजा गंधर्वसेन की पुत्री थी जो सिंघल प्रान्त के राजा थे। इनकी माता का नाम चम्पावती था। समय के साथ -साथ रानी पद्ममावती अपने अद्भुत सुंदरता के साथ युवा होने लगी। इनके  पिता ने इनके  विवाह के लिये स्वयंवर का आयोजन करने का विचार किया। स्वयंवर में अलग-अलग प्रान्तो के छोटे-बड़े राजा उपस्थित हुये जिन्हे स्वयंवर की प्रतियोगिता को पास करके रानी पद्ममावती से विवाह करना था। स्वयंवर में एक छोटे राज्य का राजा मलखान सिंह भी आया था जो स्वयंवर में काफी चर्चित था। लेकिन उस समय चितौड़गढ़ से राजा रावल रतन सिंह भी आये हुये थे जिनकी पहले से ही नागमती नाम की पत्नी थी,उस समय अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिये बहु विवाह करने की प्रथा थी इसी प्रथा के तहत राजा रतन सिंह मलखान सिंह को स्वयंवर की प्रतियोगिता में पछाड़ कर स्वयंवर में सबसे आगे आकर रानी पद्ममावती से विवाह कर लिया। विवाह करने के पश्चात राजा रावल रतन सिंह अपने राज्य चितौड़गढ़ वापस आ गये।  
राजा रतन सिंह कला प्रेमी और एक अच्छे राजा होने के साथ साथ अपनी पत्नी के अच्छे पति भी थे। कला प्रेमी होने के कारण  उनके दरबार में बहुत सारे विद्वान और कलाकार रहा करते थे जो अपने -अपने कलाकृति के कारण से राजदरबार के रत्न  कहे जाते थे। 

राजदरबार के रत्नो में एक कलाकार राघव चेतन सिंह भी था जो एक संगीतज्ञ था और बासुरी वादन में बहुत ही निपुण था। इसके अन्दर एक और विशेषता थी जिसके बारे में बहुत कम लोगो को जानकारी थी। वह विशेषता यह थी कि वह एक निपुण जादूगर भी था। अपने जादूगरी विद्या का उपयोग दुश्मनो को हारने के लिये भी करता था। एक बार ऐसा हुआ कि विश्वस्त सूत्रों से राजा रतन सिंह को मालूम हुआ कि राघव चेतन सिंह रात-विरात बुरी आत्माओ का आहवाहन करता है इस जानकारी के बाद राजा रतन सिंह रोष एवं गुस्से में आ गये उन्होंने राघव चेतन सिंह का सर मुड़वा कर मुह में कलिक पोतकर गधे पर बैठाकर पुरे राज्य में घुमाने के बाद राज्य से हमेशा के लिये बाहर निकाल दिया। इस अपमान के कारण राघव चेतन सिंह बदला लेने के मनसा से अल्लाउद्दीन खिलजी से मिलने का विचार बना लिया और सुल्तान से मिलने दिल्ली चल पड़ा। दिल्ली से कुछ दूर पहले एक घना जंगल हुआ करता था उसी जंगल में वह ठहर गया और वह मौके का तलाश करने लगा कि सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी जब भी इस जंगल में शिकार खेलने आयेंगे तो उस मौके का लाभ उठाकर सुल्तान से जरूर मिलेंगा। कुछ दिन बाद ऐसा ही हुआ। 
ज्यों उसे भनक लगी कि सुल्तान जंगल में शिकार खेलने आया हुआ है ठीक उसी समय राघव चेतन सिंह अपने संगीत वाले गुण के बल पर बहुत ही सुन्दर धुन में बासुरी बजाने लगा। उसके बासुरी के धुन को सुनकर सब आश्चर्य  में पड़ गये कि इतनी सुन्दर आवाज में बासुरी कौन बजा रहा है वह भी इस घने जंगल में। इस मधुर आवाज को सुनकर सुल्तान ने अपने सैनिको से बासुरी बजाने वाले को पकड़ कर लाने को कहा इसके बाद कुछ सैनिको ने उसे खोजना शुरू किया। और राघव चेतन सिंह को खोजकर सुल्तान के सामने पेश किया। सुल्तान इसके संगीत के गुण को देखते हुए महल में सम्मान पूर्वक रहने के लिए प्रस्ताव दिया। सुल्तान की इस बात को सुनकर राघव चेतन सिंह ने कहा कि आपके पास बहुत सारी उपभोग की चीजें हैं उसके बाद भी मुझ जैसे साधारण आदमी को क्यों रखना चाहते हैं इस बात को सुनकर अल्लाउद्दीन खिलजी ने राघव चेतन सिंह को अपनी बात साफ साफ कहने को कहा उसके बाद राघव चेतन सिंह ने बताया कि राजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्ममावती बहुत ही सुंदर है ऐसी सुंदर पत्नी तो आपके पास होनी चाहिए 

इस प्रकार रानी पद्ममावती की सुंदरता की बढ़ाई सुनकर सुल्तान की वासना जाग उठी और रानी पद्ममावती को प्राप्त करने के लिए व्याकुल हो गया और चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण करने का निर्णय लिया लेकिन चित्तौड़गढ़ पहुंचने के बाद किले से कुछ दूर पहले रुक गया क्योंकि किले की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी थी। जिससे सुल्तान को लगा कि आक्रमण करना ठीक नहीं होगा। इसलिए एक चाल चलने की योजना बनाई।  एक अपना दूत  भेजकर राजा रतन सिंह को संदेशा भिजवाया की रानी पद्ममावती को अपनी बहन की तरह मानता हूं इसलिए भाई मान कर एक बार मिलने का मौका दे।  सुल्तान के इस प्रस्ताव को राजा रतन सिंह यह सोचकर मान गए कि उसके  इस प्रस्ताव को मान कर प्रजा की रक्षा होगी साथ ही साथ सुल्तान के गुस्से से बच भी जाएंगे।  इस कारण अपनी पत्नी रानी पद्ममावती का चेहरा मिरर में दिखाने के लिए राजी हो गए। यह बात सुनते ही सुल्तान अपने कुछ चुनिंदा बलशाली योद्धाओं के साथ महल में दाखिल हुआ और पहले से निर्धारित योजना के अनुसार शीशे में रानी पद्ममावती का चेहरा देखा और रानी पद्ममावती को देखते ही सुल्तान वासना से पागल हो गया और उसी पल  अंदर ही अंदर मन में निर्णय लिया कि इसे अपनी पत्नी बनाकर अपने हरम में जरूर रखेंगे फिर उसके बाद सुल्तान षड्यंत्र द्वारा राजा रतन सिंह को अपने खेमें में मुलाकात करने का प्रस्ताव रखा सुल्तान के इस प्रस्ताव को सुनकर राजा रतन सिंह अपनी दोस्ती को मजबूत करने के लिए सुल्तान के खेमे में पहुंच गए सुल्तान और राजा रतन सिंह खेमे में बराबर टहल रहे थे उसी छड़ मौका देख कर सुल्तान ने राजा रतन सिंह को बंदी बना लेने का आदेश दे दिया। राजा रतन सिंह को बंदी बना लेने के बाद महल में संदेशा भिजवाया यदि रानी पद्मावती को मेरे खेमे में नहीं लाया गया तो राजा रतन सिंह की हत्या कर दी जाएगी। इस संदेश को सुनकर राजा रतन सिंह के सेनापति ने और रानी पद्ममावती ने योजना बनाई कि राजा को षड्यंत्र द्वारा ही बचाया जा सकता है।  इस पर रानी पद्ममावती ने संदेशा भेजवाया कि अगले सुबह 150 दासियो के पालकियों सहित मैं स्वयं भी आपके खेमे में आऊंगी।  दूसरे दिन रतन सिंह के प्रमुख सेनापति गोरा और बादल अपने चुनिंदा सैनिकों के साथ शस्त्र सहित भेष बदलकर पालकियों में बैठ गये। 
 150 पालकियों को आता देख सुल्तान ने अपने सैनिको को आदेश दिया कि इन पालकियों को ना रोका जाय। पालकिया वहा जाकर रुकी जहां राजा रतन सिंह कैद थे। रतन सिंह पालकियों को देखकर बहुत शर्मिंदा हुए की पालकी में उनकी पत्नी भी आई होगी। परंतु उन पालकियों में रानी और दासियो के जगह पर सैनिक थे जो अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित थे और मौका देखकर ताबड़तोड़ सभी सैनिकों ने धावा बोल दिया और इसी मौके को देखकर गोरा और बादल ने राजा रतन सिंह को छुड़ा लिया। छुड़ाने के दौरान ही गोरा वीरगति को प्राप्त हो गये जबकि बादल दुश्मनों के खेमे में से घोड़ा चुराकर राजा रतन सिंह को घोड़े पर बैठा कर महल की ओर भागे। 
इस प्रकार बादल राजा को बचाने में सफल हो गये सैनिकों के इस चालबाजी से सुल्तान आग बबूला हो गया और महल का घेराबंदी करने का निर्णय लिया। लगातार कई दिनों तक घेरा बंदी करके बैठा रहा। कुछ दिनों के बाद महल में खाद्य सामग्री आपूर्ति की कमी हो गयी। खाद्य आपूर्ति का अन्य कोई मार्ग ना होने के कारण अंत में राजा रतन सिंह ने महल का द्वार खोलने का आदेश दे दिये। जिससे सुल्तान के सैनिक और राजा रतन सिंह के सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया। इस घमासान युद्ध के बीच राजा रतन सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए। यह समाचार सुनने के बाद रानी पद्ममावती ने सोचा अब चित्तौड़ के सारे पुरुष मार दिए जाएंगे। इसलिए सामूहिक रूप से पद्ममावती के साथ बहुत सारी महिलाओं ने जौहर करने का निर्णय लिया और एक-एक करके सभी आग में कूदती चली गयी। बाद में जब अलाउद्दीन खिलजी की सेना अंदर पहुंची तो वहां की स्थिति को देखकर सुल्तान और उसकी सेना हाथ मसल कर रह गयी। उनके सामने राख के ढेर और हड्डियों के अलावा कुछ नहीं था।  इस प्रकार रानी पद्ममावती की सुंदरता और त्याग को इतिहास में याद किया जाता है। 

रविवार, 8 अक्टूबर 2017

जब कौरव स्वर्ग लोक से धरती पर आ गए। When the Kaurava came to earth from...

जब कौरव स्वर्ग लोक से धरती पर आ गए।

आज हम बतायेगे कि जब कौरव स्वर्ग से धरती पर आ गये। 
यह घटना पौराणिक काल की है जो महाभारत की लड़ाई के समय और उसके बाद में कुछ ऐसी घटनाये है जिसको बहुत सारे लोग नहीं जानते है। ऐसी ही विशेष घटना का उल्लेख यहा किया जा रहा है। वास्तव में यह अपने आप में बहुत ही रोचक है। इस घटना में धृतराष्ट्र के विशेष निवेदन पर विशेष आयोजन के द्वारा यह घटित कराया गया था। 

आइये इसके बारे में और जाने -

आज जो जानकारी दी जा रही है वह महाभारत से ली गयी है। यह घटना उस समय की है जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था और कौरव के पिता धृतराष्ट्र और उनकी पत्नी गान्धारी अपना हस्तिनापुर छोड़कर वानप्रस्थ जीवन जीने के लिए जंगल में चले गये। लेकिन पुत्र शोक और अपने परिजनों के ना रहने पर उनका एक-एक दिन पहाड़ के समान बित रहा था और आखिर कार दुःख की सीमा इतनी बढ़ गयी के वे अपने आप को ना रोक से और अपने दुःख को दूर करने के लिये अपने गुरु और आचार्य वेद व्यास जी के पास गये और उन्होंने कहा " हे तात श्री हमारे दुःख का कोई उपाय और निवारण करे। महाभारत की लड़ाई के बाद से मेरा मन दुःख से भरा हुआ है। कृपा कर के ऐसी उपाय और युक्ति करे की मात्र एक बार किसी प्रकार से हमारे पुत्रो का दर्शन करा दे "। 
उनके व्यथा और दुःख को सुनकर व्यास ऋषि ने कहा "हे धृतराष्ट्र तुम्हारे पुत्र स्वर्गलोक में है ख़ुशी और प्रशन्नता पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे है। तुम्हारे आग्रह पर मै एक बार उनकी आत्माओ का आहवाहन यमुना के तट पर करूँगा। आहवाहन के समय आप वहा उपस्थित रहना जिससे आप अपने पुत्रो को देख सकेंगे। 
 
उसके बाद व्यास ऋषि ने यमुना के तट पर विशेष अनुष्ठान और आहवाहन प्रारम्भ किया।पवित्र आत्माओ को रात्रि में बुलाने के बाद व्यास ऋषि ने धृतराष्ट्र से कहा "हे धृतराष्ट्र थोड़े समय के बाद यमुना के मध्य जल प्रवाह में तुम्हारे अपने पुत्रो का साक्षात दर्शन होंगे"। देखते ही देखते कुछ ही देर में यमुना के मध्य जलप्रवाह में एक बहुत ही गहरा और तेज प्रकाश दिखाई दिया। उस प्रकाश की थोड़ी उचाई बढ़ने पर सभी कौरव आस-पास हस्ते खेलते और हसी-ठिठोली करते हुए दिखायी पड़े। 
इन आत्माओ के अंदर कोई दुःख या कष्ट नहीं था वे सभी प्रसन्नता से भरे हुये थे। ऐसा दृश्य देखते ही धृतराष्ट्र भावविभोर हो गये। उसके बाद कुछ क्षणों में सारी आत्माए अदृश्य हो गयी। धृतराष्ट्र को व्यास ऋषि ने समझाया "हे धृतराष्ट्र यह मृत्युलोक है यहा जो जन्म लेता है वह मृत्यु को प्राप्त करता है। लेकिन आत्माये नहीं मरती है वह केवल अलग रूपों में उनका रूपांतरण होता है"। 
उसके बाद महर्षि वेद व्यास और धृतराष्ट्र यमुना तट से  वापस आ गये। यहा जो घटना लोगो के सामने रखी गयी है उसका मात्र उद्देश्य यह है कि प्राचीन काल के हमारे ऋषि मुनि इतने सामर्थ्यवान थे कि मरे हुये व्यक्तियों के आत्माओ को बुला सकते थे। यह उनके ज्ञान और तपस्या का बल था। 

इस प्रकार हमारे चैनल पर अलग-अलग और अद्भुत जानकारी मिलती रहेगी। इसलिए हमारे चैनल को देखते रहे और फॉलो भी करे। 

शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

धन वर्षा और आर्थिक सुधार का है ये अचूक उपाय This is the surefire way to bring wealth and economic improvement.


धन वर्षा और आर्थिक सुधार का है यह अचूक उपाय 



धन वर्षा और आर्थिक सुधार का है यह अचूक उपाय 

आज के नए एपिसोड में वास्तु के अनुसार धन वर्षा और आर्थिक सुधार का अचूक उपाय बताया गया है।  संसार का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो धनी ना होना चाहिए लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमारे द्वारा किए गए उपाय और प्रयास अच्छे परिणाम नहीं दे पाते हैं। इसके लिए कोशिश करते-करते बहुत लंबा समय इंतजार में बीत जाता है लेकिन आर्थिक सुधार की झलक दिखती ही नहीं है। ऐसी स्थिति में घर के मुखिया और घर के अन्य सदस्यों में नाकारात्मक विचार के कारण दिमाग में उल्टी सीधी बातें आने लगते हैं। ऐसी स्थिति में घर में आर्थिक तंगी के साथ घर में अशांति और झगड़े का माहौल बनता जाता है और चिंता के कारण कुछ लोग बीमार भी पड़ जाते हैं। धीरे-धीरे आर्थिक समस्या, घर में और हमारे चारों तरफ परेशानियों की जाल बिछा देती है। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए ऐसा अचूक उपाय हम बताने जा रहे हैं जिसे प्राचीन काल से आर्थिक सुधार के लिए बहुत अच्छा vastu tips  माना जाता है।

आईये  इसके बारे में और जाने 

आज जिस वास्तु टिप्स के बारे में जानकारी दी जा रही है यह वास्तव में एक विशेष प्रकार का पौधा है लेकिन यह वास्तु टिप्स के रूप में बहुत ही कारगर माना जाता है। इस पौधे का उपयोग कई जगह अलग-अलग रूपों में करते हैं। प्राचीन काल में देखा गया है कि इसका उपयोग वास्तु दोष निवारण के रूप में, वशीकरण के लिए ,नाकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए और अलग-अलग तंत्र शास्त्रों में इसका उपयोग होता देखा गया है। 
इस पौधे को नेपाल में  विरुपाद  कहा जाता है जबकि अपने देश भारत में लोग इसे बोलचाल में दो पंजों की जोड़ी या हत्था जोड़ी के नाम से जाना जाता है। हत्था जोड़ी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र , मध्य प्रदेश के जंगलों में और नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र में इसे देखा जाता है और जनजाति के लोग इसको बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं।  
यह पौधा दिखने में छोटा होता है ऐसा लगता है जैसे कोई दोनों हाथ उठाकर मुट्ठी बांधे हुए हैं। इस वास्तु उपाय के अंतर्गत इसका उपाय
  •  कोर्ट कचहरी से मुक्ति पाने के लिए, 
  • पति-पत्नी के आपसी झगड़ा को कम करने के लिए ,
  • अज्ञात शत्रु के भय से मुक्ति के लिए , 
  • वाद विवाद में विजय प्राप्ति के लिए ,
  • व्यवसाय में होने वाले हानि को रोकने के लिए ,
  • नजर की कुदृष्टि को दूर करने के लिए , 
  • रोग को दूर कर स्वास्थ्य लाभ के लिए ,
  • धन वृद्धि के लिए , 
  • विद्या प्राप्ति और प्रतियोगिता में सफलता पाने के लिए आदि बहुत सारी समस्याओं को दूर करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। 
लेकिन सबसे बड़ी खास बात यह है कि हत्था जोड़ी को सही तरीके से लोग उपयोग में लाना नहीं जानते है इसलिए वास्तु निवारण का सही लाभ नहीं मिल पाता है। 
इस लेख में स्टेप  by  स्टेप सभी बातें बताई जाएगी। इसलिए इस लेख  को पूरा जरूर पढ़ें और ध्यान दे। 

हत्था जोड़ी को जब भी उपयोग के लिए अपने घर में लाना हो तो मंगलवार और शनिवार का दिन इसके लिए अच्छा माना जाता है। इसे लाल कपड़ों में लपेट कर रखा जाता है। अगर किसी डिब्बे में रख रहे हैं तो इसके साथ में  कुछ सिंदूर भी रख सकते हैं। 
ऐसा वास्तु  के जानकार लोगों का कहना है कि यदि हत्था जोड़ी का उपयोग बिना पूजा किये  किया जाए तो लाभ नहीं देता है। 
इसे रखने के लिए चांदी के पात्र का उपयोग करना चाहिए और उपयोग में लाने से पहले इन विधियों को अपनाये जैसे -
  • हत्था जोड़ी को साफ बर्तन में (1 घंटे के लिए ) दूध और चीनी के घोल  में डुबोकर रख दें।  उसके बाद इसे इस घोल से निकाल कर साफ पानी से धूल ले। 
  • उसके बाद लौंग और कपूर के साथ इसे रख दें। 
  • उसके बाद 1 से 2 दिन के लिए किसी जार में तिल के तेल में डुबोकर रख दें। 
  • जब हत्था जोड़ी की जड़ तेल सोखना बंद कर दें तब उसे जार में से निकाल कर अपने संप्रदाय के अनुसार पूजा का आयोजन करें। 
  • पूजा का आयोजन करते समय उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठे।  
इसका उपयोग जिस उद्देश्य के लिए करने जा रहे हैं उस उद्देश्य को महापरित्राण पाठ प्रारंभ होने से पहले भिख्खु या आचार्य से कहें। 
इसकी पूजा के क्रम में शील धारण करने के बाद त्रिरत्न वंदना अर्थात बुद्ध धम्म और संघ वंदना करने के बाद महापरित्राण पाठ और लगातार बिना रुके बुद्ध चरित्र चंद्रोदय का अखंड पाठ कराये। 

पूजा समापन के अवसर पर महामंगल सूत्र,जय मंगल अट्ठगाथा को लय बद्ध तरीके से कहें। पूजन के समापन के बाद आचार्य या भिक्खु को अपनी सुविधा के अनुसार दान दें। यदि भिक्खु है तो क्षमा याचना के साथ उनकी वंदना करें , पंचांग प्रणाम करने के बाद धन्यवाद ज्ञापन जरूर करें। यह सब संपन्न होने के बाद हत्था जोड़ी का उपयोग शुक्रवार के दिन कर सकते हैं । इसे जार के पात्र में रखकर अलमारी या तिजोरी में रख सकते हैं यदि इसे धारण करना चाहे तो चांदी के ताबीज में रखकर इसे धारण कर सकते हैं। 

इसमें इस बात का ध्यान रखना है की पूजा में अगरबत्ती का उपयोग नहीं करना है केवल धूपबत्ती का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि अगरबत्ती में बांस की तीलिया लगती है जिनको वास्तु के अनुसार जलाना उचित नहीं  माना जाता है। आज के एपिसोड में इतना ही फिर मिलने मिलेंगे नए  व महत्वपूर्ण जानकारी के साथ यदि आप लोगों को फॉलो नहीं किया है तो फॉलो  जरूर करें। 

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

काले घोड़े की ये चीज़ जो दिलाएगी आर्थिक उन्नति This thing of black horse which will bring economic progress.

काले घोड़े की यह चीज जो दिलाएगी आर्थिक उन्नति।



आज के इस लेख में बताएंगे काले घोड़े की यह चीज जो दिलाएगी आर्थिक उन्नति।
दुनिया में सब लोगों की इच्छा यही होती है कि धन का अभाव ना होने पाए और धन की उन्नति के लिए या धन की वृद्धि के लिए लोग अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर तरह-तरह की कोशिश करते रहते हैं। यदि इन कोशिशें में या किसी कार्य को करने में उसे क्षेत्र से संबंधित expert से सुझाव लिया जाए तो कार्य की गुणवत्ता अच्छी हो सकती है और इसके साकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना ज्यादा हो जाती है। 

आज के इस लेख में जन सामान्य की स्थिति में सुधार हो ,लोग प्रगति के रास्ते पर जल्दी बढ़ सके इसको ध्यान में रखते हुए जल्दी परिणाम देने वाले वस्तु सुझाव को बताने की कोशिश की जा रही है। 

इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए  आइए आगे बढ़े 

बहुत सारे बताए जाने वाले वास्तु टिप्स में आज के इस लेख में बताए जाने वाला वास्तु टिप्स काफी तेज असर करने वाला है। 

यह उपाय व्यक्ति के आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है इस उपाय को करने के लिए काले घोड़े के नाल की जरूरत है। लेकिन इसमें इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि काले घोड़े के पैर में लगा हुआ नाल जितना पुराना होगा उतना ही अच्छा होगा यदि आपको जल्दी उपयोग किया हुआ नाल मिले तो इस बात का ध्यान देना है कि वह नाल कम से कम तीन माह पुराना हो।
हिंदू संप्रदाय में काली चीज को शनिदेव का प्रतीक माना जाता है अर्थात कला घोड़ा शनिदेव का प्रतीक माना जाता है। जिससे शनि का प्रभाव कम हो जाता है जब भी काले घोड़े का नाल ले आए तो उसमें काट छांट बिल्कुल ना करें क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं इसका प्रभाव समाप्त हो जाएगा। इसको उपयोग में लाने के लिए नाल को काले कपड़े में लपेटकर काले धागे से बांधकर मुख्य दरवाजे पर लटका सकते हैं या मुख्य दरवाजे पर कहीं सुरक्षित स्थान पर रख सकते हैं यदि किसी का प्रवेश द्वार का चौखट लकड़ी का बना हो तो चौखट के बीचो-बीच इसे कील द्वारा ठोक सकते हैं लेकिन याद रहे इस काले कपड़े में ही रखना है ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में ही आर्थिक समस्या दूर होने लगेगी और पूरा परिवार आर्थिक उन्नति के तरफ बढ़ने लगेगा और घर में होने वाले झगड़ा झंझट शांत हो जाएंगे और सभी शांति पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगेंगे। 

आज के इस लेख में बस इतना ही फिर मिलेंगे नई बात और जानकारी के साथ और आपको एक विशेष सूचना देना है कि हमारा यूट्यूब चैनल भी है जिस पर इससे संबंधित और भी वीडियो देख सकते हैं लिंक नीचे दिया जा रहा है। 

https://www.youtube.com/channel/UC4L2wfvR4c1LSNdemzIG0ZA

गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

बनावट के आधार पर अलग अलग होते है शौचालय Toilets differ depending on their design

बनावट के आधार पर अलग-अलग होते हैं शौचालय


बनावट के आधार पर अलग-अलग होते हैं शौचालय

आज के इस लेख में बनावट के आधार पर अलग-अलग शौचालय के बारे में जानकारी दी जाएगी। 
समाज को सभ्य  बनाने के लिए शौचालय का निर्माण करना बहुत ही जरूरी होता है। हमारे देश के गावों की स्थिति और सोच अलग तरह की है। लोगों का मानना है कि शौचालय की आवश्यकता क्या है? क्योंकि शौच जाने के लिए लोग खेतों का उपयोग करते हैं जबकि यह भूल जाते हैं कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। जहां वे शौच के लिए जाते हैं वहां कृषि होती है और जब फसल चक्र का क्रम चालू होता है और सभी खेतों में मौसम के आधार पर फसल लगा दिया जाता है इसके अलावा जब बरसात के मौसम में खेतों में पानी भर जाता है तब महिलाएं और बच्चों के लिए शौच जाना बहुत ही मुश्किल कार्य हो जाता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में शौच के लिए मात्र एक ही स्थान बचता है वह है सड़क या मार्ग। सड़क पर लोगों का आना-जाना होता है और कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं और लड़कियां शौच के लिए सड़क के किनारे जब बैठी रहती हैं तब गांव के किसी व्यक्ति या पुरुष के आने पर मुंह छुपा कर शौच के बीच में ही खड़ा होना पड़ता है। बिना शौचालय के क्या ऐसी संस्कृति का विकास करना चाहते हैं जिसमें अपने घर की इज्जत माता और बहनों को रोड पर खड़ा कर दिया जाए और तो और जिसे दुल्हन कहते हैं जिसका घूंघट एक हाथ लंबा होता है जिसकी उंगली तक देखना गवारा नहीं और चौखट के बाहर आना भी नहीं चाहिए उसे सुबह शाम रोड पर कौन सी इज्जत बढ़ाने के लिए भेजा जाता है अर्थात शौचालय का निर्माण करना सबके लिए जरूरी और आवश्यक है।

आज के लेख में बनावट के आधार पर अलग-अलग शौचालय के बारे में जानकारी दी जा रही है 
 
गड्ढे वाले शौचालय में निसंदेह मल को जमा करके सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है जिसके तरल पदार्थ आसपास मिट्टी में घुस जाते हैं इसलिए यहां पर गड्ढे वाले शौचालय बनावट के 

आधार पर तीन श्रेणियां में बांटा जा सकता है।
  1. उथले गड्ढे वाला शौचालय 
  2. साधारण गड्ढे वाला शौचालय 
  3. पक्के गड्ढे वाला शौचालय ।
इन तीनों प्रकार के शौचायलयों के बारे में आइए एक-एक करके जानकारी प्राप्त करें 

उथले गड्ढे वाले शौचालय 

उथले गड्ढे वाला शौचालय को बनाते समय इसका गड्ढा छोटा बनाया जाता है इसमें प्रत्येक मल त्याग के बाद मल मूत्र को मिट्टी से ढक दिया जाता है इसलिए इसे कभी-कभी कैट प्रणाली भी कहा जाता है। लगभग इस गड्ढे  की गहराई 300 mm से 500 mm तक बनाते देखे गए हैं जो कई हफ्तों तक काम में आते हैं और खोदी गई मिट्टी को ढेर के रूप में जमा कर दिया जाता है इसमें कुछ मिट्टी प्रत्येक मल त्याग के बाद माल के ऊपर डाल दिया जाता है।
ऊपर की मिट्टी में बड़ी संख्या में उपस्थित बैक्टीरिया उथले गड्ढे में मल मूत्र को सड़ाने का कार्य करते हैं और एक बार गड्ढा भर जाने पर दूसरा गड्ढा खोदा जा सकता है। लेकिन इस प्रकार के गड्ढों से चारों ओर बड़ी संख्या में मक्खियों पैदा होती रहती हैं और हुक वर्म एवम कीड़ों के लारवा मक्खियों के द्वारा मनुष्य तक पहुंच कर बीमारी पैदा कर सकती हैं।

साधारा गड्ढे वाले शौचालय

साधारा गड्ढे वाले शौचालय सबसे पुराने किस्म के हैं इसमें गड्ढे के ऊपर बैठने की सीट पट्टी होती है शौचालय के गड्ढे आयताकार वर्गाकार की जगह गोलाकार होते हैं जो टिकाऊ होते हैं ऐसे गड्ढों की गहराई 700 mm से कम नहीं होना चाहिए और 1000 mm से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि इसके साथ वाली दीवारों के गिरने का खतरा होता है। 
मिट्टी के ढेर से पट्टी के स्तर को उठाने में सुविधा होती है जिससे पानी गड्ढे के अंदर नहीं जा पाता है बैठने के स्थान पर छेद होता है इसके निर्माण के लिए बांस या लकड़ी के टुकड़ों के साथ-साथ स्थानीय सामानों का उपयोग करते हैं अर्थात इसमें बैठने की जो शीट पट्टी होती है वह लकड़ी या बांस की होती है। बैठने के स्थान पर जो छेद होता है उसको ढकने के लिए स्थानीय लकड़ी का उपयोग किया जा सकता है । 

पक्के गड्ढे वाले शौचालय 

पक्के गड्ढे वाले शौचालय वहां बनाए जाते हैं जिन स्थानों पर नर्म मिट्टी होती है गड्ढे को अंदर से पक्का बनाने के लिए लड़कियों की टहनियां , बांस की खपच्ची,पुराने ड्रम ,ईंटों की चिनाई या पत्थरों की चिनाई इसमें से जो भी साधन मौके पर उपलब्ध होते हैं उस से इसका निर्माण किया जाता है ।

अन्य व शेष वस्तु  वही होती है जिससे साधारण गड्ढे वाले शौचालय का निर्माण होता है। इस प्रकार के शौचालय की संरचना बहुत ही सरल होती है। क्योंकि इस शौचालय को एक आसान से दूसरे स्थान पर गड्ढे के भर जाने पर ट्रांसफर करना पड़ता है।

शौचालय के बारे में दी गई जानकारी और इससे संबंधित सूचना यदि लगता है और होना चाहिए तो अपना विचार व्यक्त करें जिसको ध्यान में रखते हुए हमारी टीम यह कोशिश करेगी कि आपकी हर जिज्ञासा को शांत किया जाए।

बुधवार, 4 अक्टूबर 2017

अपने ही मुख से ठीक करे एसिडिटी Correct your acidity with your mouth

अपने ही मुख से ठीक करे एसिडिटी



अपने ही मुख से ठीक करें एसिडिटी। 

आज के इस लेख में हम बताएंगे कि आप अपने ही मुख से ठीक कर सकते हैं एसिडिटी

एसिडिटी सुनने में बहुत हल्की समस्या लगती है लेकिन वास्तव में इतनी हल्की समस्या होती नहीं है।यह छोटी समस्या जरूर है लेकिन ध्यान न देने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।आज के इस लेख में एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए कुछ सरल उपाय के साथ-साथ अपने मुख से इसे कैसे ठीक कर सकते हैं इसके बारे में प्रकाश डाला जाएगा  

आइए इस के बारे में गहराई से जाने 

सामान्य तौर पर एसिडिटी की जो समस्या है इसके कारण पर यदि ध्यान दिया जाए तो यह बात सामने निकल कर आती है कि अधिक मात्रा में मसालेदार भोजन करना, गरिष्ठ भोजन करना, सिगरेट व शराब पीना ,तंबाकू खाना ,ज्यादा भोजन कर लेना, बिल्कुल भोजन ग्रहण न करना, खाना खाने के बाद तुरंत सो जाना ,खाना खाने के बाद तुरंत पानी पी लेना आदि छोटे-मोटे कारणों से एसिडिटी होते देखा गया है । 
एसिडिटी दूर करने के लिए हम एक अद्भुत और सरल उपाय बताने जा रहे हैं इसके द्वारा धीरे-धीरे एसिडिटी की समस्या से निजात पाया जा सकता है। 
  • यदि एसिडिटी से आप परेशान है और आपको जल्दी में उपाय समझ में ना आ रहा हो तो आप अपने मुंह के लार को घुट घुट  करके निगलना शुरू कर दें। आप देखेंगे कि दो से चार बार में ही आपको आराम महसूस होने लगेगा और एसिडिटी से होने वाली जलन भी कम होने लगेगी।
  • लार ग्रंथियां से निकलने वाले लार में पोटेशियम और बाइकार्बोनेट के आयन उपस्थित होते हैं जो अंदर पहुंच करके एसिडिटी के प्रभाव को कम कर देते हैं क्योंकि पोटेशियम एसिड को उदासीन करता है और लार में उपस्थित ऐमाइलेज एंजाइम भोजन को पचाने में मदद करता है जिससे धीरे-धीरे लार के द्वारा एसिडिटी की समस्या नियंत्रित होने लगती है। 
इस प्रकार समय-समय पर स्वास्थ्य एवं जन कल्याण से संबंधी जानकारी देते रहेंगे।

सती अनुसुइया का वह रहस्य जो दुनिया नहीं जानती ? The secret of anusueya l...

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017

खाने में कही सफ़ेद जहर तो नहीं खा रहे है आप Are you eating white poison in your food?

खाने में कहीं आप सफेद जहर तो नहीं खा रहे है आप 


खाने में कहीं आप सफेद जहर तो नहीं खा रहे है आप 

आज के नए लेख का टॉपिक है खाने में कहीं सफेद जहर तो नहीं खा रहे हैं आप 

खाने-पीने और भोज्य सामग्री के बारे में हमारे देश भारत की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है क्योंकि अधिकतर प्रोडक्ट में मिलावट और गुणवत्ता की कमी देखी जाती है और यह लोकल कंपनियों में ही नहीं बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी मिलावट देखने को मिला है 
गंभीर चिंता का विषय यह भी है कि भारत के हर त्यौहार के उपलक्ष में बनाई गई मिष्ठान और खाद्य सामग्रियों में 98% तक मिलावट देखी जाती है ऐसी स्थिति में हर नागरिक को जागरूक रहना बहुत ही जरूरी है क्योंकि भारत में व्यापार और उद्योग करने वाले को जनता के जीवन से कोई मतलब नहीं उनको केवल अपने लाभ से मतलब है।

भारत सरकार की सभी जांच एजेंसियां और जनहित विभाग बिना दांत वाले शेर के समान है इसलिए जनता को स्वयं जागरूक और जानकारी करने की जरूरत है जिससे अपने जीवन की रक्षा स्वयं कर सके

ऐसी ही जानकारी को बताने के लिए आज के इस लेख में कोशिश किया जा रहा है आईये इस के बारे में और जाने

आज के इस लेख में विशेष जानकारी दी जा रही है जिससे लोगों के जीवन की रक्षा हो सकेगी सफेद जहर के बारे में जो बताया गया है उसका सफेद चीनी से मतलब है।सफेद चीनी को बनाने के लिए बहुत सारे हानिकारक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। सफेद चीनी का मतलब है पॉली सेकेराइड।जो विशेष प्रक्रिया से बनता है। हमारा शरीर डाइ सेकेराइड और मोनो सेकेराइड को आसानी से बचा सकता है। जबकि सफेद शक्कर जो पॉली सेकेराइड होता है। हमारा शरीर इसे पॉली सेकेराइड मे परिवर्तित करती है इसके लिए जब लीवर चीनी को पचाने का कार्य करता है तो पचाने के लिए काफी ऊर्जा और कैल्शियम की जरूरत होती है यदि लंबे समय तक सफेद चीनी का उपयोग किया जाए तो चीनी को पचाने के लिए हड्डियों में उपस्थित कैल्शियम ज्यादा खर्च होगी जिससे हड्डियों से संबंधित बीमारी होने लगेगी जैसे गठिया ,ऑस्टियोपोरोसिस, घुटनों का दर्द ,जोड़ों का दर्द ,अर्थराइटिस आदि रोग होने लगेंगे अर्थात शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर घुटनों का दर्द ,जोड़ों का दर्द ,गठिया रोग जैसी समस्या उत्पन्न होने लगेगी। 

चीनी को बनाने की प्रक्रिया

चीनी को बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले गन्ने के रस को हार्ट सल्फाॅनेशन अर्थात गर्म सल्फर डाइऑक्साइड से गुजारा जाता है उसके बाद रस के गाढ़े भाग में डिसमेट नामक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। 

डिसमेट प्रक्रिया में फारमेल्डिहाइड का उपयोग होता है। फारमेल्डिहाइड वह रसायन है जिससे मरे हुये जानवरों एवम  प्राणियों को सुरक्षित रखा जाता है। अस्पताल में लाशों को सुरक्षित रखने के लिए इसी रासायनिक घोल का उपयोग किया जाता है। शरीर 40 ppm फारमेल्डिहाइड लेने पर यह उत्तकों और कोशिकाओं को सख्त बना देती है। 

गन्ने के रस को तीसरी प्रक्रिया में फास्फोरस पेंटा ऑक्साइड का उपयोग करके इसे दानेदार बनाया जाता है। फास्फोरस पेंटा आक्साइड एक जहरीला रसायन होता है जो शरीर में किसी प्रकार के सूजन के लिए जिम्मेदार होता है इसलिए भी चीनी को सफेद जहर कहा जा सकता है। 

चीनी बनाने की अंतिम प्रक्रिया में पॉलीमर का उपयोग करके चीनी को सफेद और चमकदार बनाया जाता है। पॉलीमर कपड़े के धागे को मजबूत और चमकदार बनाने के काम आता है इस प्रकार  गन्ने का रस मोनोसेकेराइड रासायनिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद पॉलीसेकेराइड बदल जाता है। 

जब चीनी ली जाती है तो शरीर का विटामिन बी नष्ट होने लगता है जिसके कारण हाइपो ग्लेशिमीया जैसी बीमारी हो सकती है। इसके कारण पेन क्रियाज का कार्य धीमा हो जाता है जिसके परिणाम स्वरुप डायबिटीज, खून में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ जाना ,बीपी बढ़ जाना और धीरे-धीरे किडनी का कार्य करना बंद हो जाना। 

इस प्रकार 50 ग्राम चीनी रोज खाते हैं तो पेनक्रियाज की उम्र 30% कम हो जाती है। एक अनुमान के अनुसार यदि साल भर चीनी खा रहे हैं तो मात्र दो माह चीनी खाना छोड़ दें तो आपके शरीर में गुणात्मक सुधार हो जाएगा आप देखेंगे कि आपके शरीर में इन्फेक्शन कम हो रही है।  पेट से संबंधित बीमारियां कम हो रही है ,और छोटी-मोटी परेशानियां जैसे कब्ज , एसिडिटी, खट्टी डकार आना यह सब दूर हो जाएगा। 

आज के इस लेख में इतना ही समय-समय पर जनहित में नई-नई जानकारी देते रहेंगे धन्यवाद

बिना मरे प्राप्त कर सकते है मुक्त अवस्था Can get nirvana without death

बिना मरे प्राप्त कर सकते है मुक्त अवस्था 


आज केइस लेख में हम बताएंगे की बिना मरे प्राप्त कर सकते हैं मुक्त अवस्था। 

दुनिया के अधिकतर संप्रदायों में यह बात बताई गई है कि अगर किसी को मुक्त अवस्था प्राप्त करना है तो वह मरने के बाद ही प्राप्त होता है। जबकि सच्चाई यह है कि वह मुक्त अवस्था है ही नहीं। यह एक महाभ्रम पूर्ण प्रचार है जो मानव समाज में व्याप्त है। यह विचार इसलिए फैला हुआ है कि लोगों को मुक्त अवस्था प्राप्त करने की विधि के बारे में पता ही नहीं है। मुक्त अवस्था प्राप्त करना एक विशेष स्थिति होती है जो हम सभी के चित्त से संबंधित होता है। अक्सर लोग मुक्त अवस्था का मतलब यह समझते हैं कि मरने के बाद किसी देवता लोक में रहना ही मुक्त अवस्था है। जबकि वास्तव में सच्चाई यह है कि जिन देवताओं की बात करते हैं उनको खुद ही मुक्त अवस्था प्राप्त नहीं है। दूसरा सबसे बड़ा झूठ से पर्दा उठाना यह भी है कि स्वर्ग लोक का राजा जो इंद्र है वह मालिक है वह मुक्त अवस्था दिलाता है यह भी भ्रम वाला प्रचार है। क्योंकि इंद्र आदि देवताओं की जो लोग चर्चा करते हैं वे सभी काल के अधीन है अर्थात जितने भी ऐसे देवताओं के नाम सुने हैं उन्हें मुक्त अवस्था प्राप्त नहीं है। यही बात अन्य संप्रदाय में भी लागू होती हैं।  

आज के इस लेख में जो विशेष ज्ञान दिया जा रहा है वह अत्यंत दुर्लभ एवं दिव्य है जो देवताओं को भी मिलना आसान नहीं है। इसलिए पूरा लेख जरूर पढ़े क्योंकि तभी आप पूरी बात जान पायेंगे। 

आई इसके बारे में और जानकारी प्राप्त करें 


संसार में प्रत्येक मनुष्य की अंतिम इच्छा यह जरूर रहती है कि वह मुक्त अवस्था प्राप्त करें लेकिन वह सोचता ही रह जाता है और पूरे जीवन ढोंग पाखंड और कर्मकांड में बिता देता है। मुक्त अवस्था वास्तव में एक चैत्तसिक स्थित है और इसके कुछ मूलभूत सिद्धांत है।इसके बिना अनुपालन के मुक्त अवस्था का साक्षात्कार करना संभव नहीं है।मुक्त अवस्था को प्राप्त करने के लिए कुछ योग्यताएं हैं जो आपके पास होनी चाहिए जैसे शील समाधि प्रज्ञा का पालन और इसके साथ पुण्य पारमी और 10 पारमिताओं  के बिना कुछ भी संभव नहीं है। बिना इन सब के पालन के एक नहीं, दो नहीं, लाखों जन्म लेने के बाद भी मुक्त अवस्था संभव ही नहीं है। 

यहाँ मुक्त अवस्था के बारे में संक्षिप्त परिचात्मक दृष्टिकोण रखा जा रहा है जहां 
  • शील का मतलब होता है सदाचार का पालन करना ,अपने अंदर अच्छे गुणों का विकास करना और पूरे जीवन नैतिक मूल्यों पर जीवन व्यतीत करना। 
  • समाधि का मतलब होता है बाहरी चित्त और आंतरिक चित्त को एक साथ जोड़कर मन के गहराई में उतरने का अभ्यास।
  • प्रज्ञा का मतलब होता है वह प्रत्यक्ष ज्ञान जिसके द्वारा सत्य असत्य अंधकार प्रकाश और भास्यमान सत्य को भेदते हुए प्रकृति के सभी घटनाओं को जैसा है वैसे ही देखने की शक्ति का विकास करना।
मुक्त अवस्था प्राप्त करने के लिए पूर्ण बल एवं पारमिता का होना आवश्यक होता है।  पारमिताएं 10 होती है लेकिन इसकी चर्चा हम यहां नहीं करेंगे क्योंकि लेख बड़ा हो जाएगा इसलिए इसकी चर्चा बाद में करेंगे। 

पारमिताएं मनुष्य के अंदर विशेष और दिव्य गुणों के विकास से सम्बंधित है इसे पूरा करने में मनुष्य को थोड़ा समय लगता है। मुक्त अवस्था प्राप्त करने का जो सबसे बड़ा अस्त्र है वह है विपश्यना। 

विपश्यना का मतलब होता है किसी चीज को शुद्ध और विशेष रूप से देखना।विपश्यना पाली भाषा का शब्द है। विपश्यना के द्वारा व्यक्ति अभ्यास करते-करते अपनी बाहरी और आतंरिक मन के गहराई के मैल को धो डालता है और धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आ जाती है कि संस्कार बनने ही नहीं पाते हैं और मनुष्य ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जिसे नव नित्य सम्भवं के नाम से जाना जाता है इसके बाद मनुष्य अपने अभ्यास और पराक्रम के बल पर चार स्थितियों को प्राप्त करता है। श्रोतापन्न, साकृदागामी,आनागामी, अरिहंत।

इस प्रकार अरिहंत ही ऐसी अवस्था है जो जीवन मुक्ति की अवस्था है इसी के बाद व्यक्ति का कोई भी जन्म नहीं होता वह मुक्त अवस्था प्राप्त कर लेता है। 

इस प्रकार समय पर विभिन्न प्रकार के दुर्लभ ज्ञान और महत्वपूर्ण जानकारी हमारे चैनल पर उपलब्ध होता रहेगा धन्यवाद। 

सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

इस दिशा में ही क्यों बनाना चाहिए शौचालय। Why should toilets be built in this direction only?

इस दिशा में ही क्यों बनाना चाहिए शौचालय।

इस दिशा में ही क्यों बनना चाहिए शौचालय 

हम सभी के भवन में शौचालय का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है इसलिए अक्सर लोग इस बात की चर्चा करते रहते हैं कि यह शौचालय किस दिशा में बनवा जाए। यदि शौचालय का निर्माण सही दिशा में नहीं कराया गया है तो बहुत सारी समस्याओं का आना तय है। कुछ लोगों के जीवन में इतनी बीमारियां हो जाती हैं की दावों का बैग साथ लेकर घूमते रहते हैं। यदि एनालिसिस किया जाए तो यह बात निकाल कर आती है कि उनके घर में वास्तु की समस्या जरूर है। यदि वास्तु की समस्या को हल कर दिया जाए तो बहुत सारी समस्याओं का हल संभव हो सकता है। ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए आज के इस लेख में यह जानकारी दी जा रही है।

आईये के बारे में और तथ्यात्मक जानकारी प्राप्त करें 

हमारे भवन में वास्तु एक देव पुरुष की भांति हैं जिसका उल्लंघन करने पर दुष्परिणाम आने लगते हैं इसलिए वास्तु की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और इसके अनुरूप भवन का निर्माण करना चाहिए। वास्तु के बारे में बड़ी और गंभीर गलती होने पर उसका छोटे-मोटे उपाय द्वारा निदान संभव नहीं हो पता है। इसलिए वास्तु ज्ञान होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। 

कुछ दिशाओं में शौचालय का निर्माण करना बिल्कुल निषेध है  जैसे

  •  नॉर्थ ईस्ट में शौचालय का निर्माण नहीं हो सकता है क्योंकि वास्तु पुरुष का सिर इसी दिशा में रहता है। 
  • साउथ ईस्ट में भी शौचालय बनाना उचित नहीं है क्योंकि यह अग्नि देव का स्थल माना जाता है 
  • इसी प्रकार नॉर्थवेस्ट में भी शौचालय बनाना उचित नहीं है और ना ही बनाया जा सकता क्योंकि यह दिशा धन की दशा मानी जाती है। 

शौचालय बनाने का उचित दिशा 

  • शौचालय बनाने के लिए सही और उचित दिशा साउथ वेस्ट है। इस दिशा में शौचालय बनवा सकते हैं। इस दिशा में शौचालय बनाने से कोई दिक्कत या समस्या नहीं होती है। ऐसा वास्तु शास्त्र विशेषज्ञों का कहना है इसका प्रमुख कारण यह भी है कि इसमें उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भवन पर नहीं पड़ने पता है। 
आज के इस लेख में इतना ही।
समय-समय पर वास्तु से संबंधित उपयोगी जानकारी देते रहेंगे धन्यवाद। 

इस तरीके से पढ़ोगे तो पढ़ा हुआ हमेशा रहेगा याद। If you read in this way, you will always remember what you read.

इस तरीके से पढ़ोगे तो पढ़ा हुआ हमेशा रहेगा याद


इस तरीके से पढ़ोगे तो पढ़ा हुआ हमेशा रहेगा याद

आज के लेख में पढ़ाई करने के तरीकों के बारे में बताया गया है जिससे पढ़ा हुआ हमेशा याद रहेगा। पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में विद्यार्थियों एवं छोटे बच्चों की यह समस्या रहती है कि याद किया हुआ भूल जाता है और परीक्षा के समय पढ़ा हुआ परीक्षा में मेन समय पर भूल जाने की शिकायत हमेशा करते रहते हैं। किसी चीज को भूल जाने के कई कारण होते हैं जिसे समझना जरूरी होगा क्योंकि बिना समस्या को समझे इलाज संभव नहीं है। हमारा दिमाग किसी चीज को याद कर लेता है और किसी चीज को भूल भी जाता है। इसका मुख्य कारण उस विषय के प्रति दिमाग की रुचि और अरुचि है। पढ़ाई करते समय इसका ध्यान दिया जाए की विषय को रुचिकर और इंट्रेस्टेड  बना दिया जाए तो याद करना आसान हो जाएगा।  

याद करने के तरीके 

याद करने के तरीकों में कुछ महत्वपूर्ण और आवश्यक जानकारी दी जाएगी जो याद करने वालों के लिए काफी उपयोगी होगी। 

इस विधि के बारे में और जानकारी करें --

आप सभी जानते हैं की मन के ऊपर लोगों का नियंत्रण नहीं रहता है इसलिए मन स्वभाव से स्वच्छंद होता हैं। जब से मनुष्य किसी चीज को जानना समझना प्रारंभ किया है तब से लेकर मृत्यु की क्षण तक मन हमेशा चलाएं मान रहता है। इसलिए मनुष्य की बहुत सारी ऊर्जा मन के गतिमान होने में खर्च हो जाती है आज के इस एपीसोड में एक विशेष जानकारी दी जा रही है इसके अभ्यास के द्वारा मन के दौड़ने की गति को कम किया जा सकता है। इसके अलावा पढ़ने और याद करने के कुछ तरीके हैं जिसका पालन करने से याद करना आसान हो जाएगा।  

इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको daily 20 मिनट का समय देना होगा। 

20 मिनट शांत जगह बैठकर आना पान सती का अभ्यास करना होगा। 

इस अभ्यास के लिए आसन लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना होगा। 

ध्यान रहे की फर्श पर कुछ बिछाकर बैठना है।  बैठने के लिए कोई भी आसान सुख पूर्वक चुन सकते हैं या पालथी मारकर बैठ सकते हैं। 

बैठते समय ध्यान दें की सिर, गर्दन और शरीर एक सीध में होना चाहिए। 

उसके बाद चुने हुए आसन पर बैठ जाए फिर सांसों की गति पर ध्यान लगाना होगा कि सांस कैसे आ रही है या जा रही है।

ध्यान करते समय दो बातों का ध्यान देना जरूरी है पहले पूरे शरीर में किसी प्रकार का हलन चलन नहीं होना चाहिए।

दूसरा आंखें बंद है तो बंद ही रखना चाहिए। 

20 मिनट आंखें न खोले और बीच में ना कुछ कहना है पूरे मन को सांसों के आवागमन पर लगाना है। 

साक्क्षी भाव से देखना है कि सांस आ रही है या जा रही है।  यह प्रक्रिया लगातार 20 मिनट तक  करना है।

20 मिनट के पहले आसान से बिल्कुल ना उठे बीच में बार-बार आपके मन में विचार आते रहेंगे लेकिन आपको विचारों में शामिल नहीं होना है केवल विचारों को देखना है कि विचार आ रहे हैं और जा रहे हैं।

 कुछ दिनों के अभ्यास के बाद आप देखेंगे कि विचारों का आना-जाना और विचारों का प्रवाह कम हो गया है तथा धीरे-धीरे भागते दौड़ते मन के ऊपर नियंत्रण होता चला जायेगा और आप मन  के गुलाम बनने की जगह मन के मालिक बन जाएंगे। 

इसके साथ-साथ एक लाभ और भी होगा कि आपके अंदर बैठे हुए नकारात्मक चीजों का अस्तित्व और जड़ उखड़ने लगेगा और कुछ ही दिन के अभ्यास के बाद ही आपके मन की एकाग्रता और याद करने की क्षमता बढ़ने के साथ-साथ कार्य करने की क्षमता में विशेष सुधार होते दिखाई देने लगेगा। 

पढ़ाई के समय याद करने की जो समस्या थी उसका हल निकलने लगेगा। 

इसके अलावा कुछ और भी बदलाव करने की जरूरत है जिसको महत्वपूर्ण तथ्य के रूप में समझ सकते हैं। आप अपने आदत के बारे में अनुभव किया होगा यदि कोई चीज रंगहीन है और दूसरी चीज रंग बिरंगी है तो आपका ध्यान रंग बिरंगी चीजों पर ज्यादा जाता है अर्थात कोई चीज पढ़ना चालू करें तो पढ़ते समय मुख्य बिंदुओं को हाइलाइटर से कलर कर दिया करें।  जिससे मन उस चीज को तेजी से समझ और ग्रहण कर सके। 

दूसरी बात यह है कि कोई चीज रटने की जगह समझने का प्रयास करें जब किसी चीज को समझ कर पढ़ेंगे तो वह ज्ञान लॉन्ग टर्म मेमोरी में चला जाएगा। जहां पर याद की हुई चीज जल्दी भूलती नहीं है जबकि शॉर्ट टर्म मेमोरी में रहने वाली चीज जल्दी ही भूल जाती हैं। 

जब किसी चीज को रट कर याद करते हैं तो रट कर याद किया हुआ ज्ञान शॉर्ट टर्म मेमोरी में रहता है इसलिए शॉर्ट टर्म मेमोरी की जो चीज हैं वह जल्द ही भूल जाती है। यही मुख्य अंतर है समझ कर पढ़ने में और रट कर याद करने में। 

परीक्षा में आपका ज्ञान धोखा इसलिए दे देता है क्योंकि आप रट कर याद किए हुए रहते हैं।  किसी चीज को समझ कर याद करने के लिए एक जरूरी बात यह है कि बिना देखे उस चीज को रफ पर एक बार जरूर लिख लिया करें।  

आज के एपिसोड में बताई गई तकनीकी छोटी और लाभप्रद है इसलिए इसे आजमा कर देखते हैं तो चमत्कारिक परिणाम  मिलेगा धन्यवाद

बर्तन जो खाद्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते? these utensils which do not react with food ?

बर्तन जो खाद्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते ये बर्तन अक्रियाशील होते हैं  आज के इस लेख में हम उस बर्तन के बारे में बताएंगे कि वह कौ...