बनावट के आधार पर अलग-अलग होते हैं शौचालय
बनावट के आधार पर अलग-अलग होते हैं शौचालय
आज के इस लेख में बनावट के आधार पर अलग-अलग शौचालय के बारे में जानकारी दी जाएगी।
समाज को सभ्य बनाने के लिए शौचालय का निर्माण करना बहुत ही जरूरी होता है। हमारे देश के गावों की स्थिति और सोच अलग तरह की है। लोगों का मानना है कि शौचालय की आवश्यकता क्या है? क्योंकि शौच जाने के लिए लोग खेतों का उपयोग करते हैं जबकि यह भूल जाते हैं कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। जहां वे शौच के लिए जाते हैं वहां कृषि होती है और जब फसल चक्र का क्रम चालू होता है और सभी खेतों में मौसम के आधार पर फसल लगा दिया जाता है इसके अलावा जब बरसात के मौसम में खेतों में पानी भर जाता है तब महिलाएं और बच्चों के लिए शौच जाना बहुत ही मुश्किल कार्य हो जाता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में शौच के लिए मात्र एक ही स्थान बचता है वह है सड़क या मार्ग। सड़क पर लोगों का आना-जाना होता है और कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं और लड़कियां शौच के लिए सड़क के किनारे जब बैठी रहती हैं तब गांव के किसी व्यक्ति या पुरुष के आने पर मुंह छुपा कर शौच के बीच में ही खड़ा होना पड़ता है। बिना शौचालय के क्या ऐसी संस्कृति का विकास करना चाहते हैं जिसमें अपने घर की इज्जत माता और बहनों को रोड पर खड़ा कर दिया जाए और तो और जिसे दुल्हन कहते हैं जिसका घूंघट एक हाथ लंबा होता है जिसकी उंगली तक देखना गवारा नहीं और चौखट के बाहर आना भी नहीं चाहिए उसे सुबह शाम रोड पर कौन सी इज्जत बढ़ाने के लिए भेजा जाता है अर्थात शौचालय का निर्माण करना सबके लिए जरूरी और आवश्यक है।
आज के लेख में बनावट के आधार पर अलग-अलग शौचालय के बारे में जानकारी दी जा रही है
गड्ढे वाले शौचालय में निसंदेह मल को जमा करके सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है जिसके तरल पदार्थ आसपास मिट्टी में घुस जाते हैं इसलिए यहां पर गड्ढे वाले शौचालय बनावट के
आधार पर तीन श्रेणियां में बांटा जा सकता है।
- उथले गड्ढे वाला शौचालय
- साधारण गड्ढे वाला शौचालय
- पक्के गड्ढे वाला शौचालय ।
इन तीनों प्रकार के शौचायलयों के बारे में आइए एक-एक करके जानकारी प्राप्त करें
उथले गड्ढे वाले शौचालय
उथले गड्ढे वाला शौचालय को बनाते समय इसका गड्ढा छोटा बनाया जाता है इसमें प्रत्येक मल त्याग के बाद मल मूत्र को मिट्टी से ढक दिया जाता है इसलिए इसे कभी-कभी कैट प्रणाली भी कहा जाता है। लगभग इस गड्ढे की गहराई 300 mm से 500 mm तक बनाते देखे गए हैं जो कई हफ्तों तक काम में आते हैं और खोदी गई मिट्टी को ढेर के रूप में जमा कर दिया जाता है इसमें कुछ मिट्टी प्रत्येक मल त्याग के बाद माल के ऊपर डाल दिया जाता है।
ऊपर की मिट्टी में बड़ी संख्या में उपस्थित बैक्टीरिया उथले गड्ढे में मल मूत्र को सड़ाने का कार्य करते हैं और एक बार गड्ढा भर जाने पर दूसरा गड्ढा खोदा जा सकता है। लेकिन इस प्रकार के गड्ढों से चारों ओर बड़ी संख्या में मक्खियों पैदा होती रहती हैं और हुक वर्म एवम कीड़ों के लारवा मक्खियों के द्वारा मनुष्य तक पहुंच कर बीमारी पैदा कर सकती हैं।
साधारा गड्ढे वाले शौचालय
साधारा गड्ढे वाले शौचालय सबसे पुराने किस्म के हैं इसमें गड्ढे के ऊपर बैठने की सीट पट्टी होती है शौचालय के गड्ढे आयताकार वर्गाकार की जगह गोलाकार होते हैं जो टिकाऊ होते हैं ऐसे गड्ढों की गहराई 700 mm से कम नहीं होना चाहिए और 1000 mm से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि इसके साथ वाली दीवारों के गिरने का खतरा होता है।
मिट्टी के ढेर से पट्टी के स्तर को उठाने में सुविधा होती है जिससे पानी गड्ढे के अंदर नहीं जा पाता है बैठने के स्थान पर छेद होता है इसके निर्माण के लिए बांस या लकड़ी के टुकड़ों के साथ-साथ स्थानीय सामानों का उपयोग करते हैं अर्थात इसमें बैठने की जो शीट पट्टी होती है वह लकड़ी या बांस की होती है। बैठने के स्थान पर जो छेद होता है उसको ढकने के लिए स्थानीय लकड़ी का उपयोग किया जा सकता है ।
पक्के गड्ढे वाले शौचालय
पक्के गड्ढे वाले शौचालय वहां बनाए जाते हैं जिन स्थानों पर नर्म मिट्टी होती है गड्ढे को अंदर से पक्का बनाने के लिए लड़कियों की टहनियां , बांस की खपच्ची,पुराने ड्रम ,ईंटों की चिनाई या पत्थरों की चिनाई इसमें से जो भी साधन मौके पर उपलब्ध होते हैं उस से इसका निर्माण किया जाता है ।
अन्य व शेष वस्तु वही होती है जिससे साधारण गड्ढे वाले शौचालय का निर्माण होता है। इस प्रकार के शौचालय की संरचना बहुत ही सरल होती है। क्योंकि इस शौचालय को एक आसान से दूसरे स्थान पर गड्ढे के भर जाने पर ट्रांसफर करना पड़ता है।
शौचालय के बारे में दी गई जानकारी और इससे संबंधित सूचना यदि लगता है और होना चाहिए तो अपना विचार व्यक्त करें जिसको ध्यान में रखते हुए हमारी टीम यह कोशिश करेगी कि आपकी हर जिज्ञासा को शांत किया जाए।
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