गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

ताजमहल की यह सच्चाई नहीं जानते होंगे You do not know this truth of the T...


ताजमहल की यह सच्चाई नहीं जानते होंगे


ताजमहल की यह सच्चाई नहीं जानते होंगे

पूरी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जिस पर अत्यधिक आक्रमण किये गए इसका कारण है यहाँ की सामाजिक व्यवस्था। भारत में जाति व्यवस्था ने भारत को अंदर से खोखला कर कैंसर एवं टीवी का मरीज बना दिया लेकिन मानवता के दुश्मन यह सब बातो का बिना चिंता किये मौज की ज़िंदगी जीने लगे। 
भारत की सामाजिक व्यवस्था को कमजोर देखते हुये विदेशी मुस्लिमो ने जमकर आक्रमण किया। उसके बाद यहाँ की पूरी अर्थव्यवस्था अपने हाथ में ले लिया जिससे पुरे भारत की शासन व्यवस्था धीरे-धीरे कमजोर होती चली गयी। क्योकि यहाँ पर लोगो में भाई बंधुत्व की भावना कम थी। राजाओ के पास सैनिक कम थे। हिन्दू राजाओ की जनता उनकी स्वयं की विद्रोही थी क्योकि उनमे अधिकतर राजा निरंकुश एवं क्रूर थे। 

आक्रमण के लम्बे दौर में 1631 से 1632 का समय आया और इसी समय शाहजहाँ का शासन स्थापित हो गया। 
शाहजहाँ ने भी इस देश की कमजोरियों  को समझते हुये मनमानी करना चालू कर दिया ऐसी ही मनमानी एवं फेरबदल का शिकार ताजमहल हो गया। लेकिन ताजमहल के बारे में बताया जाता है की ताजमहल का निर्माण 1156 में राजा परमाल देव ने किया था और वर्तमान ताजमहल के इमारत में दो मंजिल अभी नीचे भी है जिसे  बताया जाता है कि यह पहले अग्नेश्वर महादेव के मन्दिर के नाम से जाना जाता था। 

पूरी तरह देखा जाय तो ताजमहल 7 मंजिला इमारत है। एक लेखक ने यह भी बताया है कि ताजमहल के अंदर कुल 700 प्रकार के चिन्ह मिले है जो मंदिर होने का प्रमाण देते है। जिसे एक इतिहासकार ने अपने पुस्तक में चर्चा भी किया है। 

ताजमहल कि प्राचीनता को कार्बन टेस्ट के द्वारा पता किया जा सकता है। वर्तमान समय में जो इसकी पहचान है उसमे यह संदेह उत्पन्न होकर सामने आया है कि इसे  ताजमहल कहा जाय या ना कहा जाय। 
यदि ताजमहल शब्द का विश्लेषण करते है तो प्राचीन इतिहास में तेजोमालय नाम से इसकी जानकारी मिलती है और ऐसा बताया जाता है कि शाहजहाँ ने इस पर कब्ज़ा करके शिवमंदिर को बदलवा करके इसमें कब्र बनवाकर एक नया नाम ताजहमल रख दिया जबकि सही मायने में आजतक के इतिहास में किसी मुस्लिम के कब्रगाह को महल शब्द का प्रयोग करते नहीं देखा गया है। क्योकि कब्र कभी महल नहीं हो सकता। 
जानकारी में संक्षिप्त रूप में यह बात सामने आती है कि शाहजहाँ  कि शादी मुमताज से 1612 में हुयी थी ऐसा बताया जाता है कि मुमताज कि मृत्यु बुरहानपुर में हुयी थी लेकिन कुछ मुस्लिम  यह भी मानते है बुरहानपुर में मुमताज की मृत्यु होने के बाद मुमताज की लाश को आगरा लाया गया। आगरा के ताजमहल में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। 
जबकि इस्लाम सम्प्रदाय में यह बात स्पष्ट रूप से बतायी गयी है कि किसी कि भी कब्र को पक्की नहीं बनायी जा सकती। कच्ची मिट्टी में कब्र इसलिए बनाने को कहा गया है कि कुछ दिन बाद मिट्टी की बनी हुयी शरीर मिट्टी में मिल जाती है । 
 यहाँ सवाल यह खड़ा होता है कि शाहजहाँ ने किस सम्प्रदाय के आधार पर पक्की कब्र बनवाया और किसकी इजाजत से बनवाया। 
पाठक इसका निर्णय करे कि शाहजहाँ क्या शरीयतन गुनहगार है या नहीं।    

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