रविवार, 22 अक्टूबर 2017

दुनिया के प्राण घातक बीमारियों का आखिर सौदागर कौन Who is the ultimate de...

दुनिया के प्राण घातक बीमारियों का आखिर सौदागर कौन?

 दुनिया के प्राण घातक बीमारियों का आखिर सौदागर कौन ?

आज आप लोगो को जो जानकारी दी जा रही है वह मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मानव के जीवन में तो सुख दुःख लगा ही रहता है लेकिन दुःखो के क्रम में बिमारी भी दुःख का सबसे बड़ा कारण है। बिमारियों में कुछ ऐसी बीमारियां है जो जीवन को नरक बना देती है और जीवन जीना मुश्किल कर देती है। ऐसी बिमारियां प्राणघातक होती है। कई बार तो बहुत कोशिशो के बाद भी जीवन बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। जीवन में सबसे बड़ा सुख स्वास्थ सुख होता है। 
मनुष्यों को स्वस्थ बनाने के लिए हमारे चैनल के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है जो बहुत ही आवश्यक और जरुरी है। 

आइये जानकारी के लिये आगे बढ़े 

वैज्ञानिक खोजो में कुछ खोज ऐसे है जो मानव सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिये किया गया था लेकिन आदमी के खुरापाती दिमाग ने उस अनुसंधान को गलत तरीके से उपयोग किया जैसे - अणु शक्ति का अनुसंधान किया गया था। इस अनुसंधान का खोज इस उद्देश्य से किया गया था की अपार मात्रा में ऊर्जा मिल सके जिससे मनुष्य  का विकास तेजी से हो सके। 
लेकिन आदमी के बदमाश दिमाग ने उस अणु शक्ति को बम बनाने में कर दिया। इस प्रकार विकास की जगह विनाशकारी सिद्ध  हो गया 
आज के इस वीडियो में ऐसी ही जानकारी दी जा रही है कि इस अनुसंधान का दुरपयोग कर लोगो ने बिमारियों के लिये बड़ा कारण बना दिया है। 
जब सैवेटियर ने हाइड्रोजिनेशन तकनीकी का विकास किया तब उन्होंने सोचा कि गैसों का हाइड्रोजिनेशन करके ठोस रूप देकर कई कल्याणकारी कार्य हो सकेगा और इस खोज के लिये उन्हें नोबल प्राइज़ भी दिया गया था 
लेकिन कुछ धन के लालची लोगो ने इस तकनीकी से तेल का हाइड्रोजिनेशन करने लगे। जिससे घी जैसा पदार्थ बनाकर दुनिया में प्रसिद्ध करके उसे प्रचलन में ला दिया जो स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा दुश्मन साबित हुआ क्योकि बड़े बिमारियों का सबसे बड़ा कारण ट्रांस फैट है जो वनस्पति घी के खाने से उत्पन्न होते देखा गया है। 

trans fat या trans unsatureted faty ऐसिड  मानव निर्मित टाक्सिक अखाद्य एवं आर्टिफीसियल फैट है। 

यह एक मृत एवं क्षतिग्रस्त unsatureted fat है जिसे सस्ते oil का हाइड्रोजिनेशन करके फैक्ट्री में बनाया जाता है। परन्तु याद रखें प्राकृतिक तेलों और जीव वसा में trans fat नहीं होते है। 
पाल सैवेटियर ने केवल गैस का हाइड्रोजिनेशन करने का विज्ञानं बनाया था किन्तु इससे प्रेरित होकर जर्मन रसायन शास्त्री बिल हेयर नूरमन ने  1901 में तेल को हाइड्रोजिनेट करने का तरीका बना लिया और 1902 में इसका पेटेंट भी हासिल कर लिया। 
उसी समय विलयर प्रॉक्टर जो एक छोटा साबुन व्यवसायी था और उसका बहनोई जार्ज गेबल जो मोमबत्ती बना कर बेचता था। दोनों का बिजनस ना चलने की वजह से दोनों ने मिलकर सिनसीनाटी  ओहीयो में प्रॉक्टर एंड गेबल नाम की एक कम्पनी बनाई। इन्होने आननफानन में कॉटन सीड के कुछ फार्म ख़रीदे और नूरमन से हाइड्रोजिनेशन तकनीकी हासिल की और 1911 में कॉटन सीड से क्रिस्टो के नाम से पहला हाइड्रोजिनेटेड फैट बनाना शुरू किया।बाद में जेनेटिकली मोडिफाइड सोयाबीन और satureted pame oil से क्रिस्टो बनाने लगे। 
इस प्रकार धीरे -धीरे इसका प्रचलन चालू हो गया और फिर अन्य कम्पनिया भी अलग -अलग नामो से इसे बनाने लगे। 
सबसे बड़े दुःख की बात यह भी है की इसके लिये झूठी गुणवत्ता बताकर इसका प्रचार किये जिसमें कुछ लैब्रोट्रीया भी शामिल थी जो घुस लेकर ऐसा काम किये।  
इस तरह से मानव स्वास्थ एवं मानव जीवन से सम्बन्धित जानकारी हमारे इस चैनल पर उपलब्ध होती रहेगी। 
यदि आपने हमारे चैनल को फॉलो नहीं किया है तो फॉलो जरूर करे जिससे उचित जानकारी आपको प्राप्त हो सके।    
 

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