शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

धन वर्षा और आर्थिक सुधार का है ये अचूक उपाय This is the surefire way to bring wealth and economic improvement.


धन वर्षा और आर्थिक सुधार का है यह अचूक उपाय 



धन वर्षा और आर्थिक सुधार का है यह अचूक उपाय 

आज के नए एपिसोड में वास्तु के अनुसार धन वर्षा और आर्थिक सुधार का अचूक उपाय बताया गया है।  संसार का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो धनी ना होना चाहिए लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमारे द्वारा किए गए उपाय और प्रयास अच्छे परिणाम नहीं दे पाते हैं। इसके लिए कोशिश करते-करते बहुत लंबा समय इंतजार में बीत जाता है लेकिन आर्थिक सुधार की झलक दिखती ही नहीं है। ऐसी स्थिति में घर के मुखिया और घर के अन्य सदस्यों में नाकारात्मक विचार के कारण दिमाग में उल्टी सीधी बातें आने लगते हैं। ऐसी स्थिति में घर में आर्थिक तंगी के साथ घर में अशांति और झगड़े का माहौल बनता जाता है और चिंता के कारण कुछ लोग बीमार भी पड़ जाते हैं। धीरे-धीरे आर्थिक समस्या, घर में और हमारे चारों तरफ परेशानियों की जाल बिछा देती है। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए ऐसा अचूक उपाय हम बताने जा रहे हैं जिसे प्राचीन काल से आर्थिक सुधार के लिए बहुत अच्छा vastu tips  माना जाता है।

आईये  इसके बारे में और जाने 

आज जिस वास्तु टिप्स के बारे में जानकारी दी जा रही है यह वास्तव में एक विशेष प्रकार का पौधा है लेकिन यह वास्तु टिप्स के रूप में बहुत ही कारगर माना जाता है। इस पौधे का उपयोग कई जगह अलग-अलग रूपों में करते हैं। प्राचीन काल में देखा गया है कि इसका उपयोग वास्तु दोष निवारण के रूप में, वशीकरण के लिए ,नाकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए और अलग-अलग तंत्र शास्त्रों में इसका उपयोग होता देखा गया है। 
इस पौधे को नेपाल में  विरुपाद  कहा जाता है जबकि अपने देश भारत में लोग इसे बोलचाल में दो पंजों की जोड़ी या हत्था जोड़ी के नाम से जाना जाता है। हत्था जोड़ी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र , मध्य प्रदेश के जंगलों में और नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र में इसे देखा जाता है और जनजाति के लोग इसको बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं।  
यह पौधा दिखने में छोटा होता है ऐसा लगता है जैसे कोई दोनों हाथ उठाकर मुट्ठी बांधे हुए हैं। इस वास्तु उपाय के अंतर्गत इसका उपाय
  •  कोर्ट कचहरी से मुक्ति पाने के लिए, 
  • पति-पत्नी के आपसी झगड़ा को कम करने के लिए ,
  • अज्ञात शत्रु के भय से मुक्ति के लिए , 
  • वाद विवाद में विजय प्राप्ति के लिए ,
  • व्यवसाय में होने वाले हानि को रोकने के लिए ,
  • नजर की कुदृष्टि को दूर करने के लिए , 
  • रोग को दूर कर स्वास्थ्य लाभ के लिए ,
  • धन वृद्धि के लिए , 
  • विद्या प्राप्ति और प्रतियोगिता में सफलता पाने के लिए आदि बहुत सारी समस्याओं को दूर करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। 
लेकिन सबसे बड़ी खास बात यह है कि हत्था जोड़ी को सही तरीके से लोग उपयोग में लाना नहीं जानते है इसलिए वास्तु निवारण का सही लाभ नहीं मिल पाता है। 
इस लेख में स्टेप  by  स्टेप सभी बातें बताई जाएगी। इसलिए इस लेख  को पूरा जरूर पढ़ें और ध्यान दे। 

हत्था जोड़ी को जब भी उपयोग के लिए अपने घर में लाना हो तो मंगलवार और शनिवार का दिन इसके लिए अच्छा माना जाता है। इसे लाल कपड़ों में लपेट कर रखा जाता है। अगर किसी डिब्बे में रख रहे हैं तो इसके साथ में  कुछ सिंदूर भी रख सकते हैं। 
ऐसा वास्तु  के जानकार लोगों का कहना है कि यदि हत्था जोड़ी का उपयोग बिना पूजा किये  किया जाए तो लाभ नहीं देता है। 
इसे रखने के लिए चांदी के पात्र का उपयोग करना चाहिए और उपयोग में लाने से पहले इन विधियों को अपनाये जैसे -
  • हत्था जोड़ी को साफ बर्तन में (1 घंटे के लिए ) दूध और चीनी के घोल  में डुबोकर रख दें।  उसके बाद इसे इस घोल से निकाल कर साफ पानी से धूल ले। 
  • उसके बाद लौंग और कपूर के साथ इसे रख दें। 
  • उसके बाद 1 से 2 दिन के लिए किसी जार में तिल के तेल में डुबोकर रख दें। 
  • जब हत्था जोड़ी की जड़ तेल सोखना बंद कर दें तब उसे जार में से निकाल कर अपने संप्रदाय के अनुसार पूजा का आयोजन करें। 
  • पूजा का आयोजन करते समय उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठे।  
इसका उपयोग जिस उद्देश्य के लिए करने जा रहे हैं उस उद्देश्य को महापरित्राण पाठ प्रारंभ होने से पहले भिख्खु या आचार्य से कहें। 
इसकी पूजा के क्रम में शील धारण करने के बाद त्रिरत्न वंदना अर्थात बुद्ध धम्म और संघ वंदना करने के बाद महापरित्राण पाठ और लगातार बिना रुके बुद्ध चरित्र चंद्रोदय का अखंड पाठ कराये। 

पूजा समापन के अवसर पर महामंगल सूत्र,जय मंगल अट्ठगाथा को लय बद्ध तरीके से कहें। पूजन के समापन के बाद आचार्य या भिक्खु को अपनी सुविधा के अनुसार दान दें। यदि भिक्खु है तो क्षमा याचना के साथ उनकी वंदना करें , पंचांग प्रणाम करने के बाद धन्यवाद ज्ञापन जरूर करें। यह सब संपन्न होने के बाद हत्था जोड़ी का उपयोग शुक्रवार के दिन कर सकते हैं । इसे जार के पात्र में रखकर अलमारी या तिजोरी में रख सकते हैं यदि इसे धारण करना चाहे तो चांदी के ताबीज में रखकर इसे धारण कर सकते हैं। 

इसमें इस बात का ध्यान रखना है की पूजा में अगरबत्ती का उपयोग नहीं करना है केवल धूपबत्ती का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि अगरबत्ती में बांस की तीलिया लगती है जिनको वास्तु के अनुसार जलाना उचित नहीं  माना जाता है। आज के एपिसोड में इतना ही फिर मिलने मिलेंगे नए  व महत्वपूर्ण जानकारी के साथ यदि आप लोगों को फॉलो नहीं किया है तो फॉलो  जरूर करें। 

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