क्या जानते है 3300 ईसा पूर्व टैटू का इतिहास और सच्चाई
आज हम टैटू का इतिहास और इसकी सच्चाई बतायेंगे। टैटू का इतिहास और सच्चाई
आज कल आधुनिक दौर में युवाओ का एक बड़ा वर्ग बड़े तेजी से टैटू के फैशन के तरफ दौड़ता चला जा रहा है। ऐसे लोगो की रूचि को देखते हुये हमारे चैनल की टीम ने यह विचार किया है की क्यों ना इसके बारे में जानकारी दिया जाय। जिससे लोग इसके बारे में अवगत हो सके क्योकि इस तरह की जानकारी लोगो को आसानी से प्राप्त नहीं हो पाती है।
आइये इसके बारे में और जाने -
टैटू का फैशन अपने देश में ही नहीं विदेशो में भी बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। विदेशो में युवतिया इतनी शौक़ीन है कि ऐसी-ऐसी जगह टैटू बनवाती है जहा पर लोग सोच भी नहीं सकते है।
दुख और खेद की बात यह है की विदेशो में भी लोग ऐसी जानकारी से अनजान है। वैसे इतिहास खंगाला जाय तो यह ज्ञात होता है कि इसका प्रचलन और फैशन बहुत पुराना है। प्राचीन काल में 3300 ईसापूर्व इसका प्रचलन देखने को मिलता है। उस समय इसका उपयोग बड़े पैमाने पर एक पहचान के रूप में लाया जाता था। जनजाति के लोग अलग-अलग टैटुओ का उपयोग अपनी पहचान के लिए करते थे। लेकिन आज कल इसका उपयोग बिल्कुल बदल चूका है। आज के युवक और युवतिया इसका उपयोग प्यार का इजहार अथवा कृतज्ञता , स्वतंत्रता ,सुरक्षा आदि के लिए अपनी कलाई , कोहनी ,फेस पर विशेष प्रकार कि डिजाइन के रूप में बनवाते हुये देखा जाता है।
इस प्रकार के दुर्लभ और रोचक जानकारी बार-बार दी जाती है अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिये और महत्वपूर्ण जानकारी के लिये हमारे चैनल को फॉलो जरूर करे।
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