शनिवार, 30 सितंबर 2017

5000 साल पुरानी अदभुत विद्या से करे हर बीमारी दूर। five thousand years old method

5000 साल पुरानी अदभुत विद्या से करे हर बीमारी दूर।


आजकल सोशल साइटों पर चैनलों की पूरी भरमार है लेकिन कुछ गिने-चुने ही चैनल है जिन पर जरूरी और महत्वपूर्ण जानकारी मिल पाती है। हमारे चैनल की भी एक विशेष प्रकार की कोशिश है कि जनहित में महत्वपूर्ण और आवश्यक एवं लाभप्रद जानकारी लोगों को बराबर दी जाए जिससे विश्व में सुख शांति के साथ-साथ आदर्श शैली एवं शुद्ध परंपरा पर आधारित समाज का गठन हो सके। इसके अलावा हमारे चैनल की टीम यह कोशिश करती रहती है की दुर्लभ, प्राचीन ,अद्भुत और विशेष ज्ञान को भी सरल और सुनियोजित ढंग से सबके सामने प्रकट किया जाए। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुएआज के इस लेख में अति प्राचीनऔर दुर्लभ ज्ञान को प्रकट किया जा रहा है जो 5000 साल पुरानी है। जिसके द्वारा मानव शरीर की समस्याओं को बिना दवा के और बिना मूल्य के इस टेक्नीक के द्वारा देखते ही देखते कुछ ही क्षणों में इलाज करना संभव हो सकता है। 

आईये इसके बारे में और आगे जाने 

आज के इस लेख में जिस प्राचीन विद्या के बारे में बात की जा रही है वह 5000 साल पुरानी होने के साथ-साथ यह एक विशेष जादुई उपचार पद्धति है। इसे पूरी दुनिया में कुछ गिने चुने लोग ही जानते हैं इस विद्या का उपयोग बौद्ध परंपरा में ध्यान करने वाले लोग अन्य लोगों के दुख को दूर करने के लिए उपयोग में लाया करते थे। 
शॉर्ट फॉर्म में EFT कहा जाता है इसको फुल फॉर्म में emotional freedom technique कहा जाता है जो सामान्यतः मनोचिकित्सा से संबंधित है।
  • यह तकनीकी हमारे शरीर में आई हुई सूक्ष्म ऊर्जा की रुकावटों को दूर करती है और संतुलित भी करती है। जिससे हमारे शरीर के और मन के नाकारात्मक भावनाओं और विचारों का समन हो जाता है। 
  • इससे हमारी भावनाओं और शारीरिक विकारों की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। 
चीन में इस ऊर्जा को ची या Qui कहते हैं। जो सामान्यतः देखा जाए तो यह पुरानी एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर उपचार पद्धतियों पर आधारित है। 
कुछ विद्वानों का मानना है कि गैरी क्रैक द्वारा इस उपचार पद्धति को भावनात्मक एक्यूपंक्चर भी कहा जा सकता है लेकिन इसमेंअंगुलियों के द्वारा शरीर की भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर टैपिंग (अर्थात थपथपाना ) किया जाता है। इससे मनुष्य के अंदर डर,भय,क्रोध,चिंता व्यसन,आघात,अवसाद,बुरे सपने ,दर्द ,सिर दर्द आदि जैसी सभी भावनात्मक और दैहिक विकारों को सरल तरीके से दूर किया जा सकता है। 
 इस विधि में शरीर के दर्द और भावनात्मक अर्थात सभी चैतसिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इस पद्धति में तीव्रता सूचकांक का भी उपयोग करते हैं। इसमें 1 से 10 तक अमुख अंक प्रदान किए जाते हैं।  इस अंक को देने का आधार यह है कि जिसका इलाज करना है यदि उसे ज्यादा दुख या तकलीफ हो तो उसे सबसे ज्यादा 10 अंक देंगे। यदि दुख या तकलीफ कम होगा तो उसे जीरो या एक अंक देंगे। 
अंकों का निर्धारण किसी पैमाने या मीटर से नहीं किया जाता है। यह विवेक से किया जाता है। इसलिए इसे इंग्लिश में subjective unit V Q disorder के नाम से भी जाना जाता है। 

 स्वीकारोक्त वाक्य बनाना ( making the Accepting sentences )
आपको एक स्वीकारोक्त वाक्य बनाना होगा जिसका प्रारूप या फॉर्मेट इस प्रकार होगा यहाँ जो फॉर्मेट दिया जा रहा है जिस व्यक्ति को समस्या है वही इस लाइन को दोहराएगा -
"वैसे मुझे समस्या तो है लेकिन मैं स्वयं की पूर्णता और गंभीरता को स्वीकार करता हूँ। मैं अपने आप को प्यार करता हूँ।"
यदि आपको कोई समस्या है उसे स्वीकार करनी है जैसे यदि आपको सिर दर्द है तो कहना होगा मुझे सिर दर्द है। लेकिन इस पर ध्यान देना है की पूर्णता और गंभीरता पर  जोर देकर बोलना होगा और जो भाषा आप उपयोग कर रहे हैं वह समझ में आनी चाहिए। 

दूसरा पुनरावृत्ति वाक्य बनाना 
इसे आपको दूसरे चरण में टैपिंग करते समय बोलना है इंग्लिश वाक्य में  "even thought I have this problem I deeply & completly Accept myself " this problem की जगह आपको अपनी समस्या कहानी है।
EFT की मुख्य क्रिया को चार चरणों में बांट सकते हैं। 
  • पहला रूपरेखा ( setup )
  • दूसरा जादू की थप्पी ( the tapping sequence )
  • तीसरा नवकर्म  प्रक्रिया ( nine gamut procedure )
  • चौथा पुनरावृति ( repeat the tapping sequence )
अब हम प्रत्येक चरण को step by step explain करेंगे 
रूपरेखा 
अब आपको स्वीकारोक्त वाक्य तीन बार दोहराते हुए अपनी छाती पर स्थित दाएं और बाएं के दोनों सुकुमार स्थलों को हाथ की उंगलियों से रगड़ना है या कराटे लगाना है। रगड़ते या थपथपाते समय बहुत ज्यादा ताकत नहीं लगानी है। सुकुमार स्थलों को मालूम करने के लिए गर्दन के नीचले भाग में स्थित गड्ढे में उंगलियां रखें और 3 इंच नीचे जाएं और 3 इंच बगल की दिशा में अंगुली ले जाए यही सुकुमार स्थल है। इस जगह अंगुली रगड़ने से या घूमाने से तकलीफ हो तो आप दूसरे तरफ के सुकुमार स्थल या कराटे चाप point को थपथपा सकते हैं। हाथ की छोटी अंगुली के आधार तथा कलाई के बीच मांसल हिस्से को कराटे चाप पॉइंट कहा जाता है। 

 जादू की थप्पी 
इस चरण में पुनरावृति वाक्य दोहराते हुए और अपना ध्यान समस्या पर केंद्रित करते हुए चेहरे,छाती और हाथ के अमुख बिंदु पर क्रमवार थप्पी लगाना है। थप्पी लगाने के लिए दाहिने या बाएं हाथ की दो अंगुलियों को उपयोग में ला सकते हैं। 
इससे पॉइंट अच्छी तरह उत्प्रेरित हो जाते हैं हर बिंदु को सात बार थपथपाना चाहिए। इन बिंदुओं को थपथपाने से हमारे शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली समझ लेती है कि हमें किस तकलीफ से छुटकारा पाना है। आप दाएं या बाएं किसी भी पॉइंट को थपथपा सकते हैं और ध्यान रखें की बहुत ज्यादा ताकत नहीं लगाना है। 
सबसे पहला पॉइंट भृकुटी पॉइंट जिसे आप सबसे पहले दो अंगुलियों से सात बार थपथपायेंगे। उसके बाद विभिन्न बिंदुओं को थपथपाते हुए आगे बढ़ेंगे।( इसमें कुल 12 पॉइंट्स को थपथपाना है। ) 
  • पहला भृकुटी बिंदु  यह दोनों भौहो के बीच का स्थान होता है अर्थात भौहे जहां से शुरू होती हैं।
  • दूसरा नेत्र पाशर्व  यह नेत्र के बाहरी किनारे पर स्थित होता है जहां भौहे खत्म होती है।
  • अधोनेत्र बिंदु  यह बिंदु आंख के 1 इंच नीचे स्थित होता है। 
  • अद्योनाशका बिंदु  यह पॉइंट नाक के नीचे और ऊपरी होंठ के ऊपर स्थित होता है। 
  • chine ठोड़ी  यह पॉइंट आपकी ठोड़ी तथा निचले होंठ के नीचे में स्थित होता है। 
  • हसली बिंदु  यह गर्दन के निचले हिस्से में स्थित गड्ढे के 1 इंच नीचे और 1 इंच बाहर स्थित होता है। 
  • अद्यो स्थानाग्र पॉइंट  यह पुरुषों के स्थानाग्र से एक इंच नीचे और स्त्रियों में यह स्थान स्तन के नीचले हिस्से और छाती से मिलता है। 
  • अद्यो कच्छ पॉइंट  यह आपके बगल में कांख से 4 इंच नीचे स्थित होता है। 
  • अंगुष्ठा पॉइंट  यह पॉइंट अंगुष्ठ के नाखून के आधार पर बाहरी सिरे पर स्थित होता है। 
  • तर्जनी बिंदु  यह बिंदु तर्जनी के नाखून के आधार पर अंगूठे की तरफ स्थित होता है। 
  • मध्यमा बिंदु  यह बिंदु मध्यमा अंगुली के नाखून के आधार पर अंगूठे की तरफ स्थित होता है। 
  • कनिष्ठिका पॉइंट  यह पॉइंट कनिष्ठिका के नाखून के आधार पर अंगूठे की तरफ स्थित होता है। 

 नवकर्म प्रक्रिया 
नवकर्म पॉइंट को थपथपाते हुए नव विभिन्न क्रियाएं करनी है जैसे आंखों की अमुख  क्रिया ,1 से 5 तक की गिनती आदि। 
ये क्रियाएं शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करती है तथा समस्याओं को हल करने में सहायता प्रदान करती है। इस क्रिया में आमने-सामने देखना है लेकिन सर नहीं घूमाना है। नवकर्म बिंदुओं को इस क्रम से आगे बढ़ाना है।  
  • आंखें बंद करें ,आंखें खोले बिना सिर हिलाये फर्श पर दाहिने तरफ देखें। 
  • बिना सिर हिलाये फर्श पर बाएं तरफ देखें। 
  • नाक को धुरी मानते हुए आंख को क्लाकवाइज गोलाई में घुमाये अब आंख को एंटीक्लाकवाइज घुमाये। 
  • 5 सेकंड तक कोई गाने का मुखड़ा गुनगुनाये उसके बाद 1 से 5 तक गिनती गिने  फिर पुनः 5 सेकंड तक अन्य कोई गाने का मुखड़ा गुनगुनाये। 
पुनरावृत्ति 
अब दूसरे चरण को एक बार फिर दोहराएं अर्थात सभी बिंदुओं को पुनरावृत्ति वाक्य को दोहराते हुए और अपना ध्यान समस्याओं पर केंद्रित करते हुए क्रमवार थप्पी लगाना है।  इसके बाद eft  का चक्र पूरा हो जाता है। 
अब आप एक लंबा सांस लीजिए फिर अपनी समस्या का आकलन कीजिए और 1 से 10 तक अंक दीजिए। इस प्रकार आप देखेंगे कि आपको कुछ लाभ प्राप्त हो गया होगा। 
यदि आपकी तकलीफ पूरी तरह ठीक ना हो तो इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं। लगभग 80% तक रोगियों को इस उपचार से लाभ मिलता है। कई बार यह उपचार चमत्कारिक भी हो सकता है यदि इस उपचार से फायदा नहीं हुआ है तो आपके द्वारा किए गए स्टेप्स में त्रुटि हो सकती है। उसे सुधार करें। 
 ऐसी विशेष जानकारी एवं समस्याओं का निदान हम देते रहेंगे इसलिए  हमारे चैनल को बराबर देखते रहें। 

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

99 9% लोग नहीं जानते पानी पीने का सही तरीका। 99.9% people do not know the right way to drink water.

99 9% लोग नहीं जानते पानी पीने का सही तरीका।


आज हम बताएंगे कि पानी पीने का सही तरीका क्या है ? 99.9% लोग पानी पीने का सही तरीका जानते ही नहीं है। पानी पीना और पानी ग्रहण करना सभी जीव जंतुओं एवं जड़ चेतन को आवश्यक होता है लेकिन पानी पीने की बात जो बताई जा रही है वह मनुष्य से संबंधित है। पानी पीने का जो सही तरीका है वह हमारे जीवन पर काफी अच्छा असर डाल सकता है लेकिन विडंबना यह है कि अधिकतर लोग पानी पीने का सही तरीका जानते ही नहीं है। जिससे एक समस्या और हो जाती है वह यह है कि पानी हमारे शरीर की सभी क्रियाओं को प्रभावित करती है। इसलिए बहुत सारी क्रिया अपने कार्य विधियों को पानी के आधार पर ही सुनिश्चित करती है इसलिए पानी पीने का तरीका यदि गलत हुआ तो निश्चित ही हमारे शरीर की क्रियाएं गलत तरीके से कार्य करना चालू कर देंगी। लोगों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमारे टीम के द्वारा इस चैनल के माध्यम से यह जानकारी जनहित में दी जा रही है जो महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है इसलिए जानकारी देने से पहले हम आग्रह करते हैं कि इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। 
आईये इसके बारे में और जानकारी प्राप्त करें 
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है और बिना जल के जीवन संभव नहीं है। जल एक अमृत के समान है और जल के कारण ही इस पूरे ग्रह पर जीवन का अस्तित्व होना संभव हो पाया है। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे शरीर में लगभग 75 % जल है इसलिए हमारे शरीर में जल का प्रभाव अति महत्वपूर्ण है। इसलिए इस पृथ्वी के समस्त मानवों को जानना आवश्यक है कि पानी पीने का सही तरीका क्या है ? यदि पानी पीने का सही तरीका मालूम हो जाए तो बहुत सारी बीमारियों और समस्याओं का हल स्वतः हो जाएगा।  इसलिए पानी पीने का जो सही तरीका है वह बताया जा रहा है यह जानकारी सुव्यवस्थित एवं नियमित तरीका है। इसका पालन करने से किसी के भी जीवन में स्वास्थ्य से संबंधित सकारात्मक बदलाव दिखने प्रारंभ हो जाएंगे। 
  • यदि आप नींद में या सोये हैं और आपको महसूस हुआ कि आपको प्यास लगी है तो एकाएक उठकर पानी न पिये क्योंकि एकाएक पानी पीने से पाचन क्रिया प्रभावित होने लगेगी। 
  • पानी पीने का सही तरीका यह है कि कुछ देर रुकने के बाद सारे अंगों को सामान्य स्थिति में आने के बाद पानी पी सकते हैं।
  • सुबह उठने के बाद 5 से 7 मिनट तक बिस्तर पर बैठे रहें और मुंह के लार को बिना थूके, पानी आधा से 1 लीटर धीरे-धीरे पीये।
  • खाना खाते समय पानी का उपयोग न करें और यदि बहुत आवश्यक हो तो अपनी उतना ही पिए जिससे ग्रास नली में रुका हुआ भोजन अंदर चला जाए अर्थात कुछ घूंट पानी पी सकते हैं। खाना खाने के एक या डेढ़ घंटे के बाद ही पानी पीये। 
  • दूसरी एक और बात जानना जरूरी है खाना खाने के पहले 1 घंटे के अंदर पानी बिलकुल ना पीये। यदि खाना खाने से पहले पानी पी लिए हैं तो खाना 1 घंटे के बाद ही ग्रहण करें। 
  • पूरे दिन पानी पीने का तरीका यह है कि अपनी 1 घंटे या डेढ़ घंटे के अंतराल पर पीते रहे इस प्रकार पूरे दिन 7 से 8 लीटर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। 
  • पानी कभी भी तेजी से या गटागट नहीं पीना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर अनावश्यक रूप से चर्बी का निर्माण होना प्रारंभ हो जाता है । 
इस चैनल के माध्यम से बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक जानकारी देने जा रहा हूं जिसे अक्सर बहुत सारे लोग ध्यान ही नहीं देते है। वह जानकारी यह है कि आपने कभी जानवरों को पानी पीते हुए देखा है और उस पर गौर किया है। आप लोगों का ध्यान जानवरों के पानी पीने की शैली पर ले जाना चाहता हूं जिस पर आप लोगों ने ध्यान नहीं दिया होगा क्या आप लोगों ने इस पर कभी विचार किया है कि मोटापा और चर्बी का बढ़ जाना केवल मनुष्यों में क्यों होता है ? क्या कभी कुत्ते या बिल्लियों को ज्यादा फैटी होते देखा है ? शायद नहीं ऐसा इसलिए कि उनका पानी पीने का तरीका बिलकुल अलग है। कुत्ते या बिल्ली जब भी पानी पीते हैं तो अपने जीभ से धीरे-धीरे पीते हैं आज के बाद इस पर आप जरूर गौर करियेगा। कुत्ते या बिल्लियां जब जीभ से धीरे-धीरे पीते हैं तो उनके लार की अधिक मात्रा पेट में पहुंच जाती है जिससे उनका पाचन तंत्र अच्छे गति से चलता रहता है जिससे उनका स्वास्थ्य जल्दी नहीं बिगड़ा है और उन्हें आवश्यक मजबूती मिलती रहती है। 

इस प्रकार हमें भी ध्यान देना होगा कि जब भी पानी पीये तो हमारे लार की मात्रा अधिक से अधिक पेट में पहुंचती रहे क्योंकि ऐसा करने पर हमारा पाचन तंत्र सुव्यवस्थित ढंग से चलता रहेगा और हमारा स्वास्थ्य भी स्वभाविक रूप से अच्छा रहेगा। 
  • यदि आप कठोर परिश्रम या बाहर धूप से आए तो दोनों स्थिति में पानी तुरंत नहीं पीना चाहिए। बल्कि थोड़ा आराम करके ही पानी पीना चाहिए जब भी पानी पिए तो धीरे-धीरे पानी पीना चाहिए। 
  • पानी पीते समय यह ध्यान दें कि जो पानी पी रहे हैं वह शुद्ध हो तथा अशुद्धियों से परे रहे। 
  • रात में भोजन करने के बाद आधा है या 1 लीटर पानी लोटे में भरकर रख दें फिर सुबह उठने के बाद शौच जाने से पहले पी लें।
  •  कभी भी पानी खड़े-खड़े अवस्था में या मुंह ऊपर करके नहीं पीना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में पानी श्वास नली में जा सकता है तथा समस्या उत्पन्न हो सकती ह। 
यहा जो पानी पीने का तरीका बताया गया है वह मनुष्य के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बताया गया है अतः इसका पालन जरूर करें धन्यवाद।

गुरुवार, 28 सितंबर 2017

शौचालय का ऐसा ऐतिहासिक घटना जिसे नहीं जानती दुनिया। Such a historical incident of toilet which the world does not know.

शौचालय का ऐसा ऐतिहासिक घटना जिसे नहीं जानती दुनिया।

शौचालय का ऐसा ऐतिहासिक घटना जिसे नहीं जानती दुनिया। 

शौचालय का ऐसा ऐतिहासिक घटना बताने जा रहा हूं जिसे शायद ही दुनिया जानती है। मनुष्य के आवास में शौचालय का महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि शौचालय हमारे मान सम्मान और सामाजिक स्तर को व्यक्त करता है। हमारे देश भारत में शौचालय के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। वर्तमान समय में भी स्वच्छता अभियान के रूप में शौचालय निर्माण की प्रक्रियाएं चलाई जा रही हैं। बहुत सारे टीवी चैनल पर भी शौचालय से संबंधित और स्वच्छता के बारे में स्वच्छता जागरूकता विज्ञापन बनाकर जनता के सामने दिखाया जा रहा है। जिसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि मान सम्मान बनाए रखने के लिए शौचालय का निर्माण कराना आवश्यक है। वास्तव में शौचालय जरूरी होने के साथ-साथ वस्तु प्रभाव के रूप में भी मनुष्य के जीवन पर काफी असर डालती है। आज के इस लेख में शौचालय के महत्व को देखते हुए ऐसी विशेष जानकारी दी जा रही है। जिसे जन सामान्य लोग नहीं जानते हैं। ऐसी ही महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक जानकारी हमारे चैनल के माध्यम से आपके सामने प्रस्तुत की जा रही है। 
 आईये ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में और जाने 
आज के इस लेख में जो जानकारी दी जा रही है वह अति महत्वपूर्ण और प्रामाणिक है यह जानकारी अन्य किसी चैनल पर संभवतः नहीं मिलेगा। यह ज्ञान प्राप्त करने वालों के लिए विशेष प्रकार की प्रस्तुति है इसलिए आपसे आग्रह है कि पूरा ब्लॉक जरूर पढ़ें। यहां दी जाने वाली जानकारी प्राचीन इतिहास से लेकर वर्तमान समय तक की अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया जा रहा है जो शौचालय निर्माण एवं स्वच्छता पर आधारित है और विश्व स्तरीय भी है।
महत्वपूर्ण स्वच्छता एवं शौचालय से संबंधित घटनाएं इस प्रकार हैं
  • 1000 ईसा पूर्व में पर्शियन खाड़ी में बहराइन द्वीप पर फ्लस शौचालय का निर्माण किया गया।
  •  69 ईसवी में स्पैसियूनूस ऑटो साम्राज्य ने पहली बार शौचालय पर कर लगवाया। 
  • 1214 ईस्वी में यूरोप में पहली बार झाड़ू वालों द्वारा शौचालय संचालित कराया गया।
  • 1596 में जॉन हैरिंग्स्टन ने जल युक्त शौचगृह का आविष्कार किया। 
  • 1668 में पुलिस आयुक्त पेरिस द्वारा सभी घरों में शौचालय निर्माण का फरमान जारी किया गया।
  • 1772 ईस्वी में यूरोप में पहली बार भुगतान किए जाने वाले शौचालय का निर्माण हुआ।
  • 1824 ईस्वी में पेरिस में पहला जन शौचालय बनवाया गया। 
  • 1842 ईस्वी में एडविन चैडविक द्वारा संसद में जन सफाई यानि स्वच्छता कानून प्रस्तुत किया।
  • 1869 ईस्वी में सीवर के पानी को उपयोग के आधार पर खाद के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  • 1881ईस्वी में पेरूसाल फ्रांस में जानमोरस ने सेप्टिक टैंक का पेटेंट करवाया इन्होंने इसको पहली बार अपने घर में बनवाया।
  • 1883 ईस्वी में महारानी विक्टोरिया के लिए थॉमस ट्यूफर्ड ने पहला सिरेमिक शौचालय बनवाया। 
  • 1951 ईस्वी में पहली पंचवर्षीय योजना दस्तावेज में जल आपूर्ति तथा स्वच्छता को शामिल किया गया।
  • 1961 ईस्वी में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ग्रामीण शौचालय कार्यक्रम का तकनीकी दस्तावेज का  प्रकाशन हुआ।
  • 1978 vacnt  शौचालय को स्वच्छ वाटर सील शौचालय में बदलने के बारे में भारत सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन यूनिसेफ के सामूहिक प्रयास से राष्ट्रीय सेमिनार पटना में आयोजन किया गया।
  • 1985 ईस्वी में तकनीकी परामर्श ग्रुप ने मार्च 1985 में दो गड्ढे वाले शौचालय के निर्माण के संबंध में विस्तृत विशिष्टियों का प्रकाशन किया।
  • 1986 ईस्वी में केंद्र द्वारा प्रायोजित ग्रामीण कार्यक्रम का शुरूआत किया गया। 
  • आठवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक सफाई कर्मचारियों को छुटकारा दिलाने तथा पुनर्वास करने के उद्देश्य से शहर में स्वच्छ शौचालय में बदलने हेतु केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित कम लागत का स्वच्छता कार्यक्रम चलाया गया।
  • 1993 में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता की समीक्षा की गई। 
  • 1995 में स्वच्छता के बारे में मिशन के आधार पर राष्ट्रीय परामर्श दिया गया। 
2017 से  स्वच्छ भारत मिशन का संचालन चल रहा है। 

बुधवार, 27 सितंबर 2017

यह फुल देखते ही देखते राजाओ की तरह सम्मान दिलायेगा।This flower will give you respect like a king in no time.


यह फुल देखते ही देखते राजाओ की तरह सम्मान दिलायेगा।



आज इस लेख में हम बताएंगे कि राजाओं की तरह सम्मान दिलायेगा यह फूल

मानव लोगों में यह आदत या प्रवृत्ति होती है कि उन्हें सम्मान अवश्य चाहिए क्योंकि कहा गया है कि "सम्मान नहीं तो कुछ भी नहीं " जैसे कि रहीम जी ने अपने दोहे में कहा है कि " रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सुन " यहां पानी रखने का मतलब है इज्जत और सम्मान अर्थात प्रत्येक व्यक्ति अपनी इज्जत और सम्मान प्राप्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है इसलिए पूरे यत्नपूर्वक अपने सम्मान की रक्षा करता है। 
बताए जाने वाले बहुत सारे वास्तु उपायो में पेड़ पौधों के साथ-साथ फूलों का भी महत्वपूर्ण स्थान है आज के इस लेख में ऐसे ही फूल के महत्व और प्रभाव के बारे में जानकारी दी जा रही है। 

आईये इसके बारे में और जाने 

वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि अपने मान सम्मान और अनुकूल परिस्थिति के लिए कुछ फूलों के द्वारा यह उपाय किया जा सकता है। 
  • इसके लिए चमेली या जैस्मिन के फूलों के बारे में बताया गया है कि चमेली के फूल के दलों के ऊपर नाम लिखकर छाये  में रख दें जिससे वह फूल सूख जाए। सूखने के बाद इसका चूर्ण बनाकर गले में या दाएं हाथ में चांदी की ताबीज में रखकर धारण कर सकते हैं। 
इससे सभी प्रकार के नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी साथ ही साथ मान सम्मान में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। 

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

लक्षण यह दिखे तो समझे मृत्यु है नजदीक। If you see these symptoms then understand that death is near.




लक्षण यह दिखे तो समझें मृत्यु है नजदीक

आज के इस लेख में मृत्यु नजदीक के लक्षण जो सर्व विदित है उसकी जानकारी दी जाएगी 
संसार का हर व्यक्ति और धरती का प्रत्येक प्राणी यह जानता है कि उसे अवश्य मरना है लेकिन पहेली इस बात की है कि किसी को भी यह ज्ञात नहीं की मृत्यु कब आएगी। 

समान्यतः मृत्यु दो प्रकार की होती है 
  • पहला स्वभाविक मृत्यु 
  • दूसरा अस्वभाविक मृत्यु 
यहां पर जो हम चर्चा करने जा रहे हैं वह स्वभाविक मृत्यु के बारे में है क्योंकि अस्वभाविक या आकास्मिक मृत्यु के बारे में पहले से तय करना मुश्किल है क्योंकि अस्वभाविक मृत्यु कभी भी हो सकती है स्वभाविक मृत्यु अपने क्रम से आती है। 

जैसे जीवन को चार अवस्थाओं में बाटा गया है।
  • प्रथम है बचपन अवस्था 
  • दूसरा है युवावस्था 
  • तीसरा है परिपक्व अवस्था और
  • चौथा है वृद्धा अवस्था 
इसी को आश्रम के रूप में भी बांटा गया है जिसका उल्लेख हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथो में की गई है इस ग्रंथ के अनुसार चार आश्रम बताया गया है जिसका अनुपालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन काल के कल्पो को पूरा करता है। इसके अनुसार 
  • ब्रह्मचर्य आश्रम इसका काल बचपन से 25 वर्ष आयु तक होती है। 
  •  इसके बाद गृहस्थ आश्रम जो 25 से 50 वर्ष तक होता है। 
  • उसके बाद वानप्रस्थ आश्रम 50 से 75 वर्ष होता है। 
  • इसके बाद सन्यास आश्रम जो 75 से 100 या 125 वर्ष के बीच माना जाता है। 
मृत्यु का काल प्रायः जो आश्रम द्वारा निर्धारित की गई है वह वृद्धावस्था माना गया है। इसलिए शास्त्रों में इस प्रकार की विवेचना की गई है की चौथे आश्रम के आने पर अध्यात्म की तरफ झुक जाना चाहिए। 
लेकिन एक बात का उल्लेख करना आवश्यक हो रहा है जिसका उल्लेख महाभारत के खंडो में किया गया है 
एक बार जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ था और उस विषम परिस्थिति में जब उन्हें प्यास लगी परंतु दुर्भाग्य वस वे पानी की तलाश करते हुए यक्ष के तालाब तक पहुंच गए जिसकी रखवाली एक यक्ष कर रहा था। यक्ष ने शर्त रखी की जो मेरे प्रश्नों का उत्तर देगा वही पानी पिएगा। इस कारण चार भाई मृत्यु को प्राप्त हो गए क्योंकि वह उत्तर नहीं दे पाए। बड़े भाई युधिष्ठिर ही यक्ष के प्रश्नों का उत्तर दे पाये। उन प्रश्नों में एक प्रश्न यह भी पूछा कि है युधिष्ठिर संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? इसके उत्तर में युधिष्ठिर ने कहा कि हे यक्ष इस दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि संसार का प्रत्येक प्राणी यह जानता है कि हमें एक न एक दिन मरना ही है लेकिन वह लगातार जिंदा रहने की इच्छा या कामना करता है।  
इसलिए हमें जीवन के प्रति आसक्ति ना रखकर अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने कर्म करते रहना चाहिए। 
इस लेख में मृत्यु नजदीक के लक्षण जो सर्व विदित है उसकी जानकारी दी जा रही है। 
आईये इसके बारे में आगे जाने 
हिंदू सम्प्रदाय के प्रमुख ग्रंथ गरुड़ पुराण में जीवन की अंतिम क्षणों तथा उसके बाद के जीवन की विवेचना की गई है और विधिवत कर्मकांडो की भी जानकारी दी गई है।
हिंदू संप्रदाय के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज माने जाते हैं। ग्रंथो में ऐसा बताया गया है कि वृद्धावस्था में यह लक्षण दिखाई दे तो समझे मृत्यु नजदीक है। 
जैसे दांतों का गिरना प्रारंभ हो जाना, सुनाइ  कम पड़ना, इंद्रियों का कमजोर हो जाना, दिखाई कम पड़ना,कमर का झुक जाना तथा चलने के लिए किसी सहारे की जरूरत पड़ना, कभी-कभी हाथ और पैरों में कंपन होना, पूरे शरीर के त्वचा का कांतिहीन हो जाना, त्वचा का लटक जाना या झुरी पड़ जाना, शरीर के मांस का या हड्डियों का छोड़ देना,अपने नित्यक्रम को ठीक से ना कर पाना आदि लक्षण यदि दिखाई पड़े तो व्यक्ति को सभी मोह माया छोड़कर अध्यात्म की तरफ झुक जाना चाहिए और लगातार सत्य कर्म की तरफ पूरे मन से लग जाना चाहिए।  क्योंकि किसी भी क्षण जीवन की डोर टूट सकती है। 
 इसी प्रकार नई-नई जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को देखते रहिए साथ ही साथ फालो करना ना भूले और शेयर कमेंट जरुर करें। 

बच्चो के डायपर की समस्या का हल इस वीडियो से पाये।Know the condition of children's diaper problem in this video

बच्चों के डायपर की समस्या का हाल इस वीडियो में पाए 


आज के नए एपिसोड में हम बच्चों के डायपर की समस्या का हाल बतायेंगे। 
 
छोटे बच्चों को कहीं बाहर ले जाने पर लोग अपनी सुविधा के लिए बच्चों के मल-मूत्र की झंझट से बचने के लिए डायपर उपयोग करते हैं लेकिन लंबे समय तक इसका उपयोग करने पर डायपर वाली जगह पर रैसेज की समस्या हो जाती है जिससे बच्चों के उस क्षेत्र में त्वचा का रंग रक्त वर्ण हो जाता है। जलन होने लगता है ,वहां स्पर्श करने पर दर्द होने लगता है और तो और संक्रमण के कारण त्वचा गर्म भी लगने लगती है। 
इन समस्याओं को दूर करने के लिए हम अपने चैनल से इस ब्लॉग में यह विशेष जानकारी दें  रहे हैं जिससे बच्चों के इस समस्या से निदान हो सके। 
 सामान्य तौर पर यह रैसेज दो प्रकार के होते हैं
  • पहला ईस्ट डायपर रैसेज 
  • दूसरा इरिटेट या खिलौने वाला रैसेज
 सामान्य तौर पर रैसेज उत्पन्न होने के कई छोटे-मोटे कारण है जैसे
  •  डायपर के रगड़ से रैसेज उत्पन्न हो सकते हैं या इसके एलर्जी रिएक्शन से भी रैसेज उत्पन्न हो सकते हैं। एंटीबायोटिक के अनावश्यक एवं अत्यधिक प्रयोग से उपयोगी बैक्ट्रिया नष्ट हो जाते हैं इस कारण से भी डायपर रैसेज हो सकते है।
  • गीले या गंदे डायपर को लंबे समय तक ना बदलने से एवं सस्ते डायपर उपयोग करने से भी रैसेज उत्पन्न हो सकते है। 
  • बच्चों के कपड़ों में ज्यादा स्ट्रांग वाशिंग पाउडर और सॉफ्टनर के इस्तेमाल से भी रैसेज उत्पन्न हो सकते है।
 इस प्रकार बच्चों को साफ सुथरा रखने पर भी रैसेज उत्पन्न होते हैं तो वाशिंग पाउडर बदल दें। 
इस प्रकार की समस्या को दूर करने के लिए यह उपाय अपनाये जा सकते हैं 
  • डायपर बदलने के बाद बच्चों के डायपर वाले क्षेत्र को अच्छी तरह से स्वच्छ जल से साफ कर लेना चाहिए और नमी सूखने के बाद ही डायपर पहनाना चाहिए। 
  • अधिक से अधिक समय तक डायपर वाले क्षेत्र को खुला रखना चाहिए। डायपर वाले क्षेत्र को साफ रखना चाहिए और त्वचा संक्रमण प्रतिरोधी क्रीम का उपयोग करते रहना चाहिये।
  • डायपर को टाइट नहीं पहनाना चाहिए बल्कि हवा बराबर सर्कुलेट होता रहे इसके लिए डायपर को ढीला पहनाना  चाहिए। 
  • बच्चों के कपड़े हार्ड डिटर्जेंट की जगह हल्के गर्म पानी से साफ करना चाहिये । 
  • बच्चों के डायपर को समय-समय पर देखते रहना चाहिए कि यह गीला तो नहीं हुआ है अगर गीला हो जाए तो इसे शीघ्र बदल दें। 
  • इसे दो से तीन घंटे के अंतराल पर चेक करते रहना भी जरूरी है। 
  • यदि डायपर वाली जगह किसी भी प्रकार का संक्रमण हो तो एंटी फंगल क्रीम का इस्तेमाल करें। 
  • डायपर वाले क्षेत्र को सावधानी पूर्वक एवं कोमलता पूर्वक साफ करना चाहिए ज्यादा रगड़ना नहीं चाहिए क्योंकि संक्रमण वाले जगह पर घाव बन सकता है। 
आज के एपिसोड में इतना ही।  इसी प्रकार नई-नई जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को देखते रहें फॉलो भी करें। 

रविवार, 24 सितंबर 2017

सावधान ! नींद की कमी से हो सकती है ये गंभीर बीमारियाँ /Attention ! Lack of sleep can cause these serious diseases.

सावधान ! नींद की कमी से हो सकती है ये गंभीर बीमारियाँ।


सावधान ! नींद की कमी से हो सकती है ये गंभीर बीमारियाँ।

आज के नए एपिसोड में नींद की कमी से होने वाली गंभीर बीमारियों के बारे में बताएंगे हमारी दिनचर्या में और जीवन शैली में नींद भी एक महत्वपूर्ण कारक है। अतः स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद लेना अतिआवश्यक है। नींद की कमी से बहुत सारी बीमारियां उत्पन्न हो सकती है। वर्तमान समय में भाग दौड़ की जिंदगी में लगभग 60% ऐसे लोग हैं जो पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं जिससे बहुत सारी समस्याये उत्पन्न हो जाती है। कई अध्ययनों से यह बात निकाल कर आयी है कि स्वस्थ रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 6 घंटे की नींद अनिवार्य होती है परंतु इसमें कमी होने पर शरीर में भिन्न-भिन्न समस्याएं उत्पन्न होने लगती है।
 
जैसे 
  • अनिद्रा के कारण अवसाद, एंजायटी जैसे मानसिक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। 
  • नींद में कमी होने के कारण भूख न लगना, शरीर में हारमोंस का स्तर बढ़ जाने के कारण से लोग अधिक खाना खाने लगते हैं और मेटाबॉलिज्म का स्तर धीमा हो जाने के कारण से मोटापा तेजी से बढ़ने लगता है जो एक समस्या बन जाती है। 
  • नींद पूरी न होने के कारण रक्तचाप अर्थात बी पी  की समस्या हो सकती है। माइग्रेसन अर्थात सिर दर्द जैसी समस्या भी बढ़ने लगती है।
  • नींद पूरी न होने से पाचन तंत्र से संबंधित प्रॉब्लम भी बढ़ने लगती है जिससे बदहजमी, एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याएं होती रहती है।
  • अनिद्रा से पीड़ित लोगों में अक्सर इरीटेबल बाउल सिंड्रोम के शिकार होते देखा गया है। इसमें लोग सुबह-सुबह उठने के बाद बार-बार लैट्रिन जाते हैं और पेट दर्द एवं पेचिश की समस्या उत्पन्न हो जाती है। 
  • यदि ऐसे लोगों को जिनको अस्थमा की शिकायत है तो अस्थमा अटैक की संभावना बढ़ जाती है। 
  • नींद की कमी के कारण ही हारमोंस का संतुलन बिगड़ जाता है तथा डायबिटीज या शुगर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे लोगों में देखा गया है कि पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और महिलाओं में मासिक चक्र गड़बड़ा जाता है।  
आज के एपिसोड में इतना ही आगे आने  वाले एपिसोड में नींद आने के सरल उपाय के बारे में बताएंगे इसके लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें। 

शनिवार, 23 सितंबर 2017

छिपकली भगाने के इस तरीके से दूर दूर तक नहीं दिखेंगी छिपकलियाँ get rid of Lizard

छिपकली भगाने के इस तरीके से दूर दूर तक नहीं दिखेंगी छिपकलियाँ 

छिपकली भगाने के इस तरीके से दूर-दूर तक नहीं दिखेगी छिपकलियाँ
 
आज छिपकली भगाने के उपायों के बारे में बताया गया है।इस ब्लॉग पर कुछ समय पहले छिपकली के लक्षणों के बारे में बताया गया था। आप लोगों ने महसूस किया होगा कि अक्सर बच्चे और महिलाएं छिपकलियों से डरते रहते हैं इसलिए यहां छिपकली को भागने के लिए इको फ्रेंडली उपाय बताया जा रहा है। इससे छिपकलियाँ भाग जायेंगी तथा कोई नुकसान भी नहीं होगा। 
इन कई उपायों में से कोई एक उपाय आप अपना कर देख सकते हैं यह सभी उपाय आसान एवं घरेलू है जो छिपकलियों को तेजी से भगा सकते हैं।

आईये इन उपायों पर चर्चा करें 

  • थोड़ी सी मात्रा लहसुन का लेकर छिलका साफ कर ले और फिर इसे पानी के साथ घोल  बना ले। अब इस घोल को जहां-जहां छिपकलियों का आना जाना है वहां इसका छिड़काव कर दे। इससे  छिपकलियां भाग जायेंगी। 
  • अगला उपाय अंडे के छिलके को किसी डंडी में लगाकर जहां-जहां छिपकलियों का मार्ग है वहां टांग दें या रख दे। 
  • अगला उपाय में प्याज के स्लाइस काटकर छिपकलियों के आसपास रख दें इससे छिपकलियाँ भाग जायेंगी क्योंकि प्याज में सल्फर होता है इसलिए इस के गंध के कारण छिपकलियाँ भागने लगती है। 
  • अगला उपाय है बर्फ के  ठण्डे पानी को छिपकलियों के ऊपर छिड़काव करने से भी छिपकलियाँ भागने लगती है। 
  • अगला उपाय थोड़ी सी मात्रा काली मिर्च की लेकर बारीक पीस ले फिर इसे पानी के साथ घोल बना ले। इस घोल को जगह  जगह छिड़काव कर दें जिससे छिपकलियाँ भाग जाती है। 
  • इसी प्रकार नैप्थलीन की गोली भी जगह-जगह रख देने से उस जगह पर छिपकलियाँ नहीं आती है। 
आज सिर्फ इतना ही आने वाले ब्लॉग में छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े को भगाने का उपाय लाते रहेंगे इसलिए हमारे चैनल को बराबर देखते रहे साथ ही साथ हमारे चैनल को फॉलो जरूर करें, इसको शेयर करें और कमेंट करें।।। धन्यवाद

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

बिना किसी दवा के आँखों की रोशनी बढ़ा देने वाला यह गज़ब का तरीका।This amazing way to improve eyesight without any medicine

बिना किसी दवा के आँखों की रोशनी  बढ़ा देने वाला यह गज़ब का तरीका।


 बिना किसी दवा के आंखों की रोशनी बढ़ा देने वाला यह गजब तरीका 

आज हम बताएंगे कि बिना किसी दवा के आंखों की रोशनी बढ़ा देने वाला यह गजब तरीका।
एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है "आंख है तो जहान है "अर्थात दुनिया को हम तभी देख सकते हैं जब आंख सुरक्षित हो और सही हो। 
व्यक्ति के शरीर में चाहे जितनी अपार ताकत क्यों ना हो लेकिन दृष्टिहीन की स्थिति में वह अपनी ताकत का उपयोग सही ढंग से नहीं कर पता है। जैसे कि धृतराष्ट्र के पास यदि आंखें होती तो युद्ध में अपनी भूमिका जरूर निभाते और भीम को मारने के लिए भीम की जगह कोई मूर्ति नहीं रख पाता ऐसा धोखा इसलिए हुआ की धृतराष्ट्र दृष्टिहीन थे। 
 आंखें हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी अंग है क्योंकि आंखों के न होने से हम कोई भी कार्य ठीक से नहीं कर पायेंगे और शरीर का व्यक्तित्व भी खराब हो जाता है अर्थात आंखें हमारे शरीर के लिए अनमोल रत्न के समान है।
आज हम जो जानकारी देने जा रहे हैं वह बिना किसी दवा के आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए सक्षम है। 
 
आईये इसके प्रक्रिया को जाने
 
यहाँ जिस तकनीकी के बारे में जानकारी दी जा रही है एक एक्यूप्रेशर तकनीकी पर आधारित है। हमारे हाथ की हथेली में ऐसे बिंदु है जिन्हें प्रेस करने पर आंखों की रोशनी बढ़ सकती है। यह स्थान तर्जनी एवं मध्यिका अंगुली  के बीच का स्थान होता है अर्थात दोनों अंगुलियों के पर्वत के बीच का स्थान भी कहा जा सकता है जिसे 3 से 5 बार प्रेस करना होगा लेकिन इसका ध्यान रखना है की प्रेस करते समय clockwise  एंड anticlockwise या दोनों डायरेक्शन में घुमाना होगा। इसके लिए पेंसिल का भी उपयोग कर सकते हैं लेकिन पेंसिल छिली हुई ना हो अर्थात नुकीला ना हो। 
आंखों की रोशनी बढ़ाने का जो यह तरीका बताया गया है इसे सही ढंग से करना होगा और इसे डेली सुबह-सुबह तीन से पांच सप्ताह तक करना जरूरी है। आज सिर्फ इतना ही फिर मिलेंगे नयी जानकारी के साथ। धन्यवाद

सोमवार, 11 सितंबर 2017

सारे बीमारियों का इलाज अब आपके अंगुलियों से Cure for all diseases now at your fingertips


सारे बीमारियों का इलाज अब आपके अंगुलियों से


सारे बीमारियों का इलाज अब आपकी अंगुलियों से
 आज हम बताएंगे कि सारे बीमारियों का इलाज अब आप अपने अंगुलियों से कर सकते हैं। संसार के किसी भी मानव की यह इच्छा नहीं रहती है कि वह दुखी हो या समस्याओं के घेरे में आ जाये और ना ही कोई बीमार होना चाहता है परंतु हमारे शरीर की क्रियाये हमारे रहन-सहन खान पान अनियमित होने के कारण से कभी ना कभी बीमारी हो ही जाती है। इसके लिए लोग अलग-अलग तरह से समाधान करने की कोशिश करते हैं परंतु कई बार यह कोशिश लाभप्रद नहीं हो पाती है ऐसी कई छोटी-मोटी समस्याओं से निजात पाने के लिए आज हम ऐसी खास जानकारी देने जा रहे है जो साधारण होते हुए भी बहुत ही कारगर सिद्ध होते देखा गया है। 
 
आईये  इसके बारे में जाने 

आज जिसके बारे में हम बात करने जा रहे हैं इस उपाय या इस तरीके का खोज मुख्यतः जिन लोगों को जानकारी है उसके मुताबिक लोग मानते हैं कि इसकी खोज चीन में हुई है क्योंकि चीन में इसका बड़े स्तर पर उपयोग होते देखा गया है लेकिन खोज बिन के बाद यह भी ज्ञात होता है कि इसका उपयोग सर्वप्रथम भारत में 6000 वर्ष पूर्व होते देखा गया है। 
इसके बारे में बहुत वृहद और महत्वपूर्ण जानकारी बहुत सारी पुस्तको  के रूप में लिपिबद्ध करके नालंदा विश्वविद्यालय में संग्रहित किया गया था लेकिन मानव जाति के दुश्मन और असभ्य लोगों ने उसे तरह नहस कर जला दिया और यही नहीं इसके बहुत सारे जानकार और आचार्यो को भारत देश में ही क़त्ल कर दिया गया। जिससे ऐसी विद्याओ का भारत देश से लोप हो गया। यहां जो बात बताई जा रही है वह बौद्ध भिक्खुओ के बारे में है जिनकी बड़े पैमाने पर पुष्य मित्र शुंग ने हत्या करवा दी थी। 
आज से कई हजार साल पहले बौद्ध परंपराओं में एक्यूप्रेशर काफी प्रचलित रहा है। एक्यूप्रेशर के द्वारा शरीर में व्याप्त कई सारी बीमारियों का बिना दवा के इलाज किया जा सकता है क्योंकि हमारे शरीर में कई सारे महत्वपूर्ण संवेदनशील point है जहां पर प्रेस करने पर आश्चर्यजनक परिणाम मिल सकते हैं।

आईये इसके बारे में आगे जाने 

  • अंगूठा :- यदि सिरदर्द चिंता या पेट दर्द की समस्या हो तो अंगूठे को मुट्ठी में बंद करके प्रेस करना चाहिए यह तीन से 5 मिनट करना चाहिए।  जिससे इन समस्याओं से निजात मिल जाएगा।
  • तर्जनी :- यदि निराशा पीठ दर्द या किसी प्रकार की शर्मिंदगी महसूस होने की स्थिति में इसे 5 मिनट तक मुट्ठी में बंद करके प्रेस करना चाहिए।
  • मध्यिका अंगुली:- चिड़चिड़ेपन की स्थिति में ,बी पी बढ़ने की स्थिति में या चिंता होने पर इसे 3 से 5 मिनट तक प्रेस करना चाहिए। 
  • अनामिका अंगुली :- उदासी, श्वसन की समस्या, सीने में दर्द की स्थिति में इस प्रेस करना चाहिए और इसे 5 मिनट में ही सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगेगा। 
  • कनिष्ठिका अंगुली :- आत्मविश्वास की कमी होने पर इसे 5 मिनट तक दबाकर रखना चाहिए यह प्रयोग विद्यार्थियों के लिए काफी लाभप्रद है क्योंकि अक्सर आत्मविश्वास की कमी विद्यार्थियों में देखी जाती है जब वे एग्जाम देने जाते हैं तब अक्सर ऐसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
हमारे चैनल की यह कोशिश है कि पूरे विश्व में सुख शांति एवं शुद्ध पर्यावरण का निर्माण हो जहां लोग समृद्ध एवं स्वस्थ रहे इस संदर्भ में हमारे चैनल पर समय समय पर ऐसी लेख आते रहेंगे। 

रविवार, 10 सितंबर 2017

1 मिनट में स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला जादुई तरीका Magic way to increase memory power in 1 minute


1 मिनट में स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला जादुई तरीका

 
             1 मिनट में स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला जादुई तरीका 

आज के नए एपिसोड में हम बताएंगे कि 1 मिनट में स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला जादूई तरीका क्या है ? 
स्मरण शक्ति एक ऐसी चीज है जिसकी जरूरत सबको होती है चाहे कोई विद्यार्थी हो, कोई ऑफिसर हो ,कोई क्लर्क हो, कोई बिजनसमैन हो, कोई वैज्ञानिक हो, कोई डॉक्टर हो, कोई इंजीनियर या कोई शोधकर्ता हो सबको इसकी जरूरत होती है लेकिन एक अजीब विडम्बना है कि अक्सर स्मरण शक्ति की शिकायत सबको रहती है। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए लोग तरह-तरह की कोशिश भी करते  रहते है। अक्सर लोग दिमाग बढ़ाने वाली सिरप या दवा का उपयोग करते हैं लेकिन वह कारगर सिद्ध नहीं हो पता है क्योंकि इन दवाओं का प्रभाव सीधे दिमाग की तंत्रिकाओं पर असर नहीं करता है जितना की करना चाहिए। इसके लिए एक ऐसा उपाय हम बताने जा रहे हैं कि आपको ना कोई पैसा खर्च करने की जरूरत है और ना योग ना मेडिटेशन करने की जरूरत है। 

आईये इसके बारे में जाने 

स्मरण शक्ति का संबंध सीधा हमारे दिमाग की तंत्रिकाओं से होता है इसलिए यदि कोई ऐसा उपाय हो जो दिमाग की तंत्रिकाओं को एक्टिव कर दे तो इसका परिणाम जल्दी ही दिख सकता है।आज जो उपाय हम बताने जा रहे हैं वह एक प्रकार का एक्यूप्रेशर तकनीकी है यह तकनीकी प्राचीन काल से उपयोग में होती देखी जा रही है। इस तकनीकी में मुख्यतः दो चीजों का उपयोग किया जाता है। 

  • पहला मुद्रा 
  • दूसरा एक्यूप्रेशर तकनीकी 

दिमाग की शक्ति को बढ़ाने के लिए दोनों भौहो के बीच में एक महत्वपूर्ण बिंदु होता है जिसे थर्ड आई प्वाइंट कहते हैं इस थर्ड आई पॉइंट पर डेली अंगुली से प्रेस करना है और इसका ध्यान रखना है कि एक सेकंड में एक बार ही प्रेस करना है। 
 यह अभ्यास 3 मिनट तक करना है अर्थात 180 बार प्रेस करना होगा यह अभ्यास कुछ हफ्तों  तक करना होगा अभ्यास करते समय इसका भी ध्यान रखना होगा कि लगातार प्रेस नहीं करना है एक बार प्रेस करें फिर छोड़ दें फिर प्रेस करें इस तरह इस प्रक्रिया को 3 मिनट तक दोहराते रहे।
इस एपीसोड में दी गई जानकारी बहुत ही कारगर है जिससे बिना पैसे खर्च किये लाभ मिलने वाला है लेकिन इसे लगातार करने की जरूरत है तभी लाभ मिलेगा इस अभ्यास को सुबह के समय अन्य कार्यों के साथ शामिल करें तथा इसे नियमित प्रतिदिन करते रहें। 


शनिवार, 9 सितंबर 2017

5 चीजें यदि घर में आप रखें है तो गरीबी आस पास भी नहीं भटक सकती।

5 चीजें यदि घर में आप रखें है तो गरीबी आस पास भी नहीं भटक सकती।

 आज के नए एपिसोड में हम बताएंगे ये पांच चीज यदि घर में आप रखे हैं तो घर में गरीबी आसपास भी नहीं भटक सकती है।

 पारिवारिक जीवन व्यतीत करते समय संसार का हर व्यक्ति चाहता है कि पूरा परिवार सुख और समृद्धि से भरा रहे और पैसों की कमी बिल्कुल आने ही ना पाए। इसके लिए हर कोई अपने स्तर से भिन्न-भिन्न प्रयास करता ही रहता है। मानव जीवन के लिए कुछ ऐसी उपयोगी चीजे बताई जा रही है इसका ध्यान देने पर आपके घर परिवार की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन होगा और यह  सकारात्मक परिवर्तन वास्तु शास्त्र द्वारा बताए गए उपायों का अपनाने से होगा जो यहां बताने जा रहे है। 

 आईये इसके बारे में और जाने  

हमारे चैनल के वीडियो में मानव जीवन के सुखी और उन्नति के लिए बहुत सारे उपाय बताए गए हैं इसी क्रम में यह एक खास उपाय हम बताने जा रहे हैं जो फेंग सुई  द्वारा बताए गए वास्तु शास्त्र के सुझाव पर आधारित है इसलिए वास्तु शास्त्र पर आपको विश्वास होना जरूरी है अन्यथा सकारात्मक परिणाम में बाधा भी हो सकती है। इन उपायों में यह पांच चीजें क्या है आईये इसके बारे में जाने 
  • पहला है बुद्ध प्रतिमा :-भूमि स्पर्श मुद्रा या अभय मुद्रा में बुद्ध की मूर्ति छोटे पीपल के पेड़ के छाँव में रख कर इसे पूर्व दिशा में स्थापित करवाये। 
  • दूसरा है चांदी की बांसुरी :- इसको पूजा स्थल में रखें। 
  • तीसरा है शंख  :- शंखो  में दक्षिणावर्ती शंख लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल में रखें। 
  • चौथा है पोटली लिए हुए लाफिंग बुद्धा की मूर्ति :- जो धातु की बनी हो उसे घर में रखे। 
 (लाफिंग बुद्धा से संबंधित जानकारी के लिए हमारे चैनल पर आकर देख सकते हैं )
  • पांचवा है कपूर :- घर के बीचो-बीच में कपूर जलाए। 
यही वह पांच चीज हैं जो आपके घर में धन संचय को बढ़ाने के साथ-साथ धन वृद्धि में भी सहयोग करेगी बस इतना ध्यान देना है कि जो चीज बताई गई वह उसी तरह से ही अनुपालन होना चाहिए।।। 

शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

घर में यहाँ रखे कछुआ तो इतना धन बरसेगा की आप देखते रह जायेंगे।

घर में यहाँ रखे कछुआ तो इतना धन बरसेगा की आप देखते रह जायेंगे।


घर में यहां रखे कछुआ इतना धन बरसेगा कि आप देखते रह जाएंगे

आज का जो युग है यह आर्थिक युग माना जाता है क्योंकि बिना अर्थ के आप कोई भी कार्य नहीं कर सकते और ना ही आपका मान सम्मान बरकरार रह सकता है अर्थात सामाजिक प्रतिष्ठा को बरकरार रखने के लिए धन वैभव बहुत ही महत्वपूर्ण कारक होते हैं इसलिए आज के इस वीडियो में कछुए को उचित दिशा में रखने के बारे में सुझाव दिया जा रहा है जो विश्व प्रसिद्ध वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ फेंगशुई के विचारों पर आधारित है। 

आईये इसके बारे में जाने 

 कछुआ स्वभाव से मंद और शांत होता है इसलिए वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि इसका प्रभाव धीरे-धीरे सकारात्मक परिवर्तन के रूप में दिखाई देता है लेकिन उस सकारात्मक परिवर्तन को देखने के लिए यह जरूरी है कि कछुए को सही दिशा में रखा जाए। 

  • धातु से बने कछुए को कभी भी बेडरूम में नहीं रखना चाहिए इसको ड्राइंग रूम में रखना सर्वोत्तम माना गया है। इसके लिए यह ध्यान देना जरूरी है कि अष्टधातु से बने हुए कछुए को उत्तर दिशा,उत्तर -पूर्व दिशा, दक्षिण- पूर्व दिशा में रखा जा सकता है। 
  •  कभी भी दो कछुओं को एक साथ नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे कार्य बाधित होता है। 
  • कभी भी अष्टधातु का या धातु से बने कछुए को सूखे स्थान पर नहीं रखना चाहिए अर्थात उसको रखने के लिए किसी बर्तन में पानी डालकर कछुए को रखना अच्छा माना जाता है। 
 एक बात और कहना चाहता हूं कि 
  • अष्टधातु की जगह सात धातु से बने कछुए का भी उपयोग कर सकते हैं। 
कछुए को अलग-अलग संप्रदाय में अलग-अलग ढंग से महत्त्व दिया जाता है जैसे बौद्ध धर्म में चायनीज वास्तु उपाय के रूप में अच्छा माना जाता है और वही हिन्दू मिथ्योलोजी में  इसे आस्था का केंद्र बिंदु माना जाता है क्योकि कछुए को कूर्म अवतार  के रूप में देखा जाता है। 

इसलिए इसके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए तभी अच्छा परिणाम दिखने की संभावना हो सकती है। 
 इससे संबंधित अन्य बहुत सारी जानकारी देते रहेंगे।  आप अपनी समस्याओं को जरूर बताएं अगर इससे संबंधित कोई किसी प्रकार की समस्या है तो  जिससे हम उसका उचित उपाय आपको दे सकें। 

website link 
happyvalleycreator.com  

                                                                                                        -
      

बर्तन जो खाद्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते? these utensils which do not react with food ?

बर्तन जो खाद्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते ये बर्तन अक्रियाशील होते हैं  आज के इस लेख में हम उस बर्तन के बारे में बताएंगे कि वह कौ...