लक्षण यह दिखे तो समझें मृत्यु है नजदीक
आज के इस लेख में मृत्यु नजदीक के लक्षण जो सर्व विदित है उसकी जानकारी दी जाएगी
संसार का हर व्यक्ति और धरती का प्रत्येक प्राणी यह जानता है कि उसे अवश्य मरना है लेकिन पहेली इस बात की है कि किसी को भी यह ज्ञात नहीं की मृत्यु कब आएगी।
समान्यतः मृत्यु दो प्रकार की होती है
- पहला स्वभाविक मृत्यु
- दूसरा अस्वभाविक मृत्यु
यहां पर जो हम चर्चा करने जा रहे हैं वह स्वभाविक मृत्यु के बारे में है क्योंकि अस्वभाविक या आकास्मिक मृत्यु के बारे में पहले से तय करना मुश्किल है क्योंकि अस्वभाविक मृत्यु कभी भी हो सकती है स्वभाविक मृत्यु अपने क्रम से आती है।
जैसे जीवन को चार अवस्थाओं में बाटा गया है।
- प्रथम है बचपन अवस्था
- दूसरा है युवावस्था
- तीसरा है परिपक्व अवस्था और
- चौथा है वृद्धा अवस्था
इसी को आश्रम के रूप में भी बांटा गया है जिसका उल्लेख हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथो में की गई है इस ग्रंथ के अनुसार चार आश्रम बताया गया है जिसका अनुपालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन काल के कल्पो को पूरा करता है। इसके अनुसार
- ब्रह्मचर्य आश्रम इसका काल बचपन से 25 वर्ष आयु तक होती है।
- इसके बाद गृहस्थ आश्रम जो 25 से 50 वर्ष तक होता है।
- उसके बाद वानप्रस्थ आश्रम 50 से 75 वर्ष होता है।
- इसके बाद सन्यास आश्रम जो 75 से 100 या 125 वर्ष के बीच माना जाता है।
मृत्यु का काल प्रायः जो आश्रम द्वारा निर्धारित की गई है वह वृद्धावस्था माना गया है। इसलिए शास्त्रों में इस प्रकार की विवेचना की गई है की चौथे आश्रम के आने पर अध्यात्म की तरफ झुक जाना चाहिए।
लेकिन एक बात का उल्लेख करना आवश्यक हो रहा है जिसका उल्लेख महाभारत के खंडो में किया गया है
एक बार जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ था और उस विषम परिस्थिति में जब उन्हें प्यास लगी परंतु दुर्भाग्य वस वे पानी की तलाश करते हुए यक्ष के तालाब तक पहुंच गए जिसकी रखवाली एक यक्ष कर रहा था। यक्ष ने शर्त रखी की जो मेरे प्रश्नों का उत्तर देगा वही पानी पिएगा। इस कारण चार भाई मृत्यु को प्राप्त हो गए क्योंकि वह उत्तर नहीं दे पाए। बड़े भाई युधिष्ठिर ही यक्ष के प्रश्नों का उत्तर दे पाये। उन प्रश्नों में एक प्रश्न यह भी पूछा कि है युधिष्ठिर संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? इसके उत्तर में युधिष्ठिर ने कहा कि हे यक्ष इस दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि संसार का प्रत्येक प्राणी यह जानता है कि हमें एक न एक दिन मरना ही है लेकिन वह लगातार जिंदा रहने की इच्छा या कामना करता है।
इसलिए हमें जीवन के प्रति आसक्ति ना रखकर अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने कर्म करते रहना चाहिए।
इस लेख में मृत्यु नजदीक के लक्षण जो सर्व विदित है उसकी जानकारी दी जा रही है।
आईये इसके बारे में आगे जाने
हिंदू सम्प्रदाय के प्रमुख ग्रंथ गरुड़ पुराण में जीवन की अंतिम क्षणों तथा उसके बाद के जीवन की विवेचना की गई है और विधिवत कर्मकांडो की भी जानकारी दी गई है।
हिंदू संप्रदाय के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज माने जाते हैं। ग्रंथो में ऐसा बताया गया है कि वृद्धावस्था में यह लक्षण दिखाई दे तो समझे मृत्यु नजदीक है।
जैसे दांतों का गिरना प्रारंभ हो जाना, सुनाइ कम पड़ना, इंद्रियों का कमजोर हो जाना, दिखाई कम पड़ना,कमर का झुक जाना तथा चलने के लिए किसी सहारे की जरूरत पड़ना, कभी-कभी हाथ और पैरों में कंपन होना, पूरे शरीर के त्वचा का कांतिहीन हो जाना, त्वचा का लटक जाना या झुरी पड़ जाना, शरीर के मांस का या हड्डियों का छोड़ देना,अपने नित्यक्रम को ठीक से ना कर पाना आदि लक्षण यदि दिखाई पड़े तो व्यक्ति को सभी मोह माया छोड़कर अध्यात्म की तरफ झुक जाना चाहिए और लगातार सत्य कर्म की तरफ पूरे मन से लग जाना चाहिए। क्योंकि किसी भी क्षण जीवन की डोर टूट सकती है।
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