मंगलवार, 26 सितंबर 2017

बच्चो के डायपर की समस्या का हल इस वीडियो से पाये।Know the condition of children's diaper problem in this video

बच्चों के डायपर की समस्या का हाल इस वीडियो में पाए 


आज के नए एपिसोड में हम बच्चों के डायपर की समस्या का हाल बतायेंगे। 
 
छोटे बच्चों को कहीं बाहर ले जाने पर लोग अपनी सुविधा के लिए बच्चों के मल-मूत्र की झंझट से बचने के लिए डायपर उपयोग करते हैं लेकिन लंबे समय तक इसका उपयोग करने पर डायपर वाली जगह पर रैसेज की समस्या हो जाती है जिससे बच्चों के उस क्षेत्र में त्वचा का रंग रक्त वर्ण हो जाता है। जलन होने लगता है ,वहां स्पर्श करने पर दर्द होने लगता है और तो और संक्रमण के कारण त्वचा गर्म भी लगने लगती है। 
इन समस्याओं को दूर करने के लिए हम अपने चैनल से इस ब्लॉग में यह विशेष जानकारी दें  रहे हैं जिससे बच्चों के इस समस्या से निदान हो सके। 
 सामान्य तौर पर यह रैसेज दो प्रकार के होते हैं
  • पहला ईस्ट डायपर रैसेज 
  • दूसरा इरिटेट या खिलौने वाला रैसेज
 सामान्य तौर पर रैसेज उत्पन्न होने के कई छोटे-मोटे कारण है जैसे
  •  डायपर के रगड़ से रैसेज उत्पन्न हो सकते हैं या इसके एलर्जी रिएक्शन से भी रैसेज उत्पन्न हो सकते हैं। एंटीबायोटिक के अनावश्यक एवं अत्यधिक प्रयोग से उपयोगी बैक्ट्रिया नष्ट हो जाते हैं इस कारण से भी डायपर रैसेज हो सकते है।
  • गीले या गंदे डायपर को लंबे समय तक ना बदलने से एवं सस्ते डायपर उपयोग करने से भी रैसेज उत्पन्न हो सकते है। 
  • बच्चों के कपड़ों में ज्यादा स्ट्रांग वाशिंग पाउडर और सॉफ्टनर के इस्तेमाल से भी रैसेज उत्पन्न हो सकते है।
 इस प्रकार बच्चों को साफ सुथरा रखने पर भी रैसेज उत्पन्न होते हैं तो वाशिंग पाउडर बदल दें। 
इस प्रकार की समस्या को दूर करने के लिए यह उपाय अपनाये जा सकते हैं 
  • डायपर बदलने के बाद बच्चों के डायपर वाले क्षेत्र को अच्छी तरह से स्वच्छ जल से साफ कर लेना चाहिए और नमी सूखने के बाद ही डायपर पहनाना चाहिए। 
  • अधिक से अधिक समय तक डायपर वाले क्षेत्र को खुला रखना चाहिए। डायपर वाले क्षेत्र को साफ रखना चाहिए और त्वचा संक्रमण प्रतिरोधी क्रीम का उपयोग करते रहना चाहिये।
  • डायपर को टाइट नहीं पहनाना चाहिए बल्कि हवा बराबर सर्कुलेट होता रहे इसके लिए डायपर को ढीला पहनाना  चाहिए। 
  • बच्चों के कपड़े हार्ड डिटर्जेंट की जगह हल्के गर्म पानी से साफ करना चाहिये । 
  • बच्चों के डायपर को समय-समय पर देखते रहना चाहिए कि यह गीला तो नहीं हुआ है अगर गीला हो जाए तो इसे शीघ्र बदल दें। 
  • इसे दो से तीन घंटे के अंतराल पर चेक करते रहना भी जरूरी है। 
  • यदि डायपर वाली जगह किसी भी प्रकार का संक्रमण हो तो एंटी फंगल क्रीम का इस्तेमाल करें। 
  • डायपर वाले क्षेत्र को सावधानी पूर्वक एवं कोमलता पूर्वक साफ करना चाहिए ज्यादा रगड़ना नहीं चाहिए क्योंकि संक्रमण वाले जगह पर घाव बन सकता है। 
आज के एपिसोड में इतना ही।  इसी प्रकार नई-नई जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को देखते रहें फॉलो भी करें। 

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