सोमवार, 28 अगस्त 2017

राम रहीम इंशा गुरमीत सिंह के उन्नत्ति और पतन की सच्चाई जाने। Know the truth about the rise and fall of Ram Rahim Singh.

राम रहीम इंशा गुरमीत सिंह के उन्नत्ति और पतन की सच्चाई जाने।


राम रहीम ईशा के उन्नति और पतन की सच्चाई जाने। 

आप लोगो के सामने जो लेख हैं यह सामाजिक भ्रम, पाखंड और गलत मानसिकता को दूर करने के लिए एक औषधि का काम करेगी क्योंकि सुख शांति और प्रगति के लिए स्वच्छ मानसिकता का होना जरूरी है। इसलिए हम सभी इस चैनल के माध्यम से समाज में स्वच्छ मानसिकता के निर्माण के लिए और भ्रम से पर्दा उठाने के लिए यह जानकारी दे रहे हैं। वास्तव में समाज में कुछ ऐसे वर्ग समूह है जो मिस गाइड है या निजी स्वार्थ के कारण सही रास्ते और न्याय पर नहीं चल पाते हैं। अंधविश्वास कभी भी अच्छा नहीं हो सकता है क्योंकि यह मूढ़ता का प्रतीक है। 

आईये इस पर संक्षिप्त में बात करें। 

आज के टॉपिक में ऐसे ही भ्रम से पर्दा उठाने की बात की जा रही है। आज हम जो बात करने जा रहे हैं राम रहीम इंसा गुरमीत सिंह के बारे में जिसमें हम जानेंगे कि इसकी उन्नति और पतन कैसे हुआ। हम सबसे पहले जानेंगे कि राम रहीम डेरा प्रमुख कैसे बना ?
राम रहीम हिंसा गुरमीत सिंह मगहत का पुत्र और गंगानगर राजस्थान का रहने वाला है। राम रहीम के पिता राजस्थान के बड़े जमीदारों में गिने जाते थे उसके पिता डेरा से जुड़े हुए होने के कारण यह भी डेरा के संगठन से जुड़ गया। डेरा सच्चा सौदा का नियम था कि उत्तराधिकारी चुनने के लिए मठाधीश गोपनीय रूप से उत्तराधिकारी का नाम लिफाफे में लिखकर सिरान्हे रख कर सो जाते थे और यह उसे समय खुलता था जब डेरा समूह के प्रमुख की मृत्यु हो जाती थी। लेकिन यह नियम राम रहीम के लिए टूट गया क्योंकि राम रहीम डेरा का प्रमुख षड्यंत्र से बन गया जबकि लोगों को इसके लिए भ्रमित किया गया था।  
इस षड्यंत्र में मुख्य भूमिका गुरजन सिंह की रही थी जो पहले आतंकी संगठन खालिस्तान संगठन का सक्रिय कार्यकर्ता था। और गुरजन सिंह  राम रहीम का पक्का दोस्त होने के नाते यह पूरी तरह खुलकर सपोर्ट किया और षड्यंत्र का ऐसा खेल खेला  की राम रहीम को डेरा का प्रमुख बनवा दिया जबकि कुछ दिनों बाद गुरजन सिंह पुलिस के हाथों मारा गया। इसी प्रकार एक बलात्कारी हत्या आरोपी राम रहीम गुरमीत सिंह अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। 
उस समय राम रहीम गुरजीत सिंह लगभग 22 साल का था। राम रहीम शौकीन और शान शौकत ,अय्याश  स्वभाव के कारण पूरा जीवन मजा लेने में लगा रहा। इस प्रकार उसने राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बना ली। इसी कारण हत्या ,जान से मारने की धमकी ,बलात्कार जैसे संगीन  अपराध के आरोप लगने के बावजूद भी राजा महाराजाओं जैसे ठाट बाट वाली जिंदगी जी रहा था। सरकार में इसकी पकड़ होने के बावजूद शासन के पकड़ में नहीं आ रहा था और ना ही न्यायपालिका का ही चिंता किया। फिर इसे दंड देने के स्थान पर एक जरूरी काम यह  हुआ कि इसे सम्मान देने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी जैसे महाराष्ट्र सरकार के माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फणनवीश ने अपने हाथों से गुड पर्सनालिटी का अवार्ड दिया। इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर सरकार ने ससम्मान  51 लाख का अनुदान सप्रेम भेट किया और केंद्र सरकार द्वारा जेड सुरक्षा भी प्रदान किया गया इसके अलावा राम विलास शर्मा जिनको शायद ही आप सभी लोग नहीं जानते होंगे यह माननीय शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार है जो राम रहीम पप्पा  के अंधभक्त थे जो समय-समय पर उनके पैरों की धूल लेने जाते थे और वर्तमान समय में जब विवाद आगे बढ़ने लगा तो इनका कहना था कि राम रहीम के सभी भक्त शांति प्रिय और सज्जन है। ऐसा कोई बवाल या झंझट नहीं होने वाला है। समस्या के आगे बढ़ने पर न्याय पालिका को कठोर कदम उठाना पड़ा और पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगा दिया गया। यहां स्थिति नियंत्रण में न होने की स्थिति में पंजाब और हरियाणा सरकार दोनों राज्यों की पुलिस प्रशासन को संयुक्त रूप में कार्यवाही के लिए भेजना पड़ा इस प्रकार शांति व्यवस्था के लिए 90000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात करना पड़ा जबकि इसमें पंजाब की 35 सुरक्षा कंपनियां तथा हरियाणा के 75 सुरक्षा कंपनियों को लगाया गया। 
राम रहीम के ऊपर ऐसे कई गंभीर आरोपों में 24 अक्टूबर 2002 में रामचंद्र छत्रपति वरिष्ठ सरकार पत्रकार और रणजीत सिंह सेवादार की हत्या का भी आरोप है। ऐसे संगीन अपराध के कारण 2003 में कोर्ट ने न्यायपालिका में पेश होने के लिए आदेश दिया था।  जिसका इसने अवमानना  करते हुए बहाना बनाकर बच निकला। आश्चर्य की बात है कि ऐसे संगीन अपराधी के लिए अंधभक्तो और समर्थकों द्वारा जमकर उपद्रव बवाल करते हुए कई गाड़ियों को जलाया दिया गया जिससे उसे जगह कर्फ्यू जैसे स्थिति बन गई और इन परिस्थितियों को देखते हुए बरनाला पटियाला पंचकूला में सुरक्षा व्यवस्था तेज कर दी गई। वास्तव में इस आरोप की शुरुआत एक साहसी लड़की द्वारा 13 मई 2002 को एक अज्ञात लड़की के द्वारा पत्र भेजा गया जो इस समय के वर्तमान बीजेपी पार्टी के प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहार वाजपेई जी को प्राप्त हुआ। जिसे उन्होंने इसे सीबीआई को सौंप दिया।  जिसका न्याय का समय होते-होते अब बारी आई है। जिससे डेरा समर्थक और राम रहीम के शिष्य आग बबूला होते जा रहे हैं परंतु न्यायपालिका के न्यायाधीश के निष्पक्षता के कारण यह कार्यवाही यहां तक पहुंच पाई है।अब इसे रुकने की सम्भावना नहीं है  जिस पर सजा का फाइनल निर्णय की घोषणा 28 अगस्त 2017 को होने की संभावना है। 
अब कम से कम हमारे देश की बोली भाली जनता को ऐसे ढोंग पाखंड वाले बाबाओ की करतूत समझनी चाहिए और अंधविश्वास से उठकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले मार्ग पर चलते हुए प्रज्ञा शील समाधि के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए फिर मिलेंगे नयी व महत्त्वपूर्ण जानकारी के साथ तब तक के लिए
धन्यबाद । 

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